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१११. ब्रह्मचर्य के पालन में दोषों का नाश होता है ११२. विचक्षण कौन है ? ११३. अन्तिम प्रार्थना
११४. श्री वर्धमान तप का महात्म्य ११५. तप से कार्य की सिद्धि होती है
११६.
प्राण - पोषक अन्न या रस
११७. वर्तमान में इस तप की महिमा राता महावीरजी स्तवन
११८. ११६. रूढ़ी विनाशक गायन १२०. आनन्द पत्रिका
१२१ पड़दा (चांदणिया) विनाशक १२२. कहावतें
१२३. सट्टे के व्यापार में नुकसान १२४. बीजापुर में ३६ कौम
१२५. जिसको सात गरने पानी छानकर पीना कहते हैं
१२६. परदेश जाते समय
१२७. जातियों के लिये दिन
१२८. प्रत्येक मास में वर्जित वस्तुए १२६. सट्टे के व्यापार में पांच १३०. कक्षायें
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वस्तु
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की आवश्यकता
१३१. वृद्धा का जवाब १३२. एक दो साड़े तीन १३३. रहने के मकान भी ३ ।। प्रकार के हैं १३४. वांजित्र भी ३ ।। प्रकार से सिद्ध होता है......
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