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६३. मांगना मरना समान है ६४. सन्तोषी मन सदा सुखी है ६५. धन का उपार्जन करना अच्छा है ६६. धर्म स्थान और श्मशान की महिमा ६७. ससुराल की अवहेलना ६८. दुश्चरित्र आदमी का प्रभाव ६६. हर्ष शोक दोनों व्यर्थ हैं ७०. नारकीय कर्मों का फल ७१. संसार का असली रूप ७२, हजारों मुखों से एक पण्डित अच्छा है ७३. बुद्धि रहित की निन्दा
४. इस संसार में धन ही सब कुछ है ७५. थोड़ी बुद्धि वाला भी नब पंच बनता है ७६. पुत्र और मित्र समान है ७७. मुझे कुशलता कैसी ? ७८. विद्वता कामान ७६. उदारता ही प्रशंसनीय है ८०. सुख दुख में समदर्शी बनना ८१, भोज राजा के प्रति बहुमान ८२. स्त्री सर्वोत्कृष्ट रत्न है ८३. उपसर्ग से शब्दों में चमत्कार ८४. भारतवर्ष की कमनसीबी शताब्दी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com