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( ३४ ) अनावस् (वि.) [ना + अश् + क्वसु नि०] जिसने | अनिभृत (वि०) [ न० त०] 1 सार्वजनिक, प्रकाशित, जो भोजन न किया हो, उपवास रखने वाला !
छिपा न हो, 2 धृष्ट, साहसी 3 अस्थिर, अदृढ़। दे० अनास्था [न० त०] उदासीनता, तटस्थता, आस्था का | 'निभूत' भी।
अभाव–अनास्था बास्यवस्तुषु-कु. ६।६३, पिडेष्व- | अनिमकः [अन्+इमन्-अनिमः-जीवनं तेन कायते प्रकानास्था खलु भौतिकेषु-रघु० २०५७, स्त्री पुमानित्य- शते के+क] 1 मेंढक 2 कोयला 3 मधुमक्खी। नास्यैषा वृत्तं हि महितं सताम् --कु० ६।१२, 2 श्रद्धा अनिमित्त (वि.) [न० ब०] निष्कारण, निराधार, आकया विश्वास का अभाव, अनादर।
स्मिक,--आलक्ष्यदंत मकुलाननिमित्तहासैः-श०७।१७, अनाहत (वि.) [न० त०] 1 आषातरहित, 2 कोरा -तम् 1 पर्याप्त कारण का अभाव 2 अपशकुन, बुरा या नया।
शकुन-ममानिमित्तानि हि खेदयंति-मच्छ० १०,अनाहार (वि.) [न० ब० ] बिना भोजन के रहने वाला, (क्रि०वि०) तः-अकारण, बिना हेतु के। सम०
उपवास करने वाला -र: [न० त०] भोजन न --निराक्रिया अपशकुनों का निराकरण। करना, उपवास रखना।
अनिमि (मे) ष (वि.) [न० ब०] टकटकी लगाये एक अनाहतिः (स्त्री०) [न० त०11 होम का न होना, कोई
स्थान पर जमा रहने वाला, बिना आँख झपके-शतहोम जो होम कहलाने के भी योग्य न हो 2 एक अनु- स्तमक्षणामनिमेषवृत्तिभि:-रघु० ३।४३,-ब: 1 देवता चित आहुति ।
2 मछली 3 विष्णु । सम०-दृष्टि,-लोचन (वि.) अनाहत (वि.) [न० त०] न बुलाया हुआ, अनिमन्त्रित,।
टकटकी लगा कर या स्थिर दृष्टि से देखने वाला। सम-उपजल्पिन बिना बुलाया वक्ता, -उपविष्ट | अनियत (वि.) [न० त०] 1 अनियंत्रित 2 अनिश्चित,
(वि०) अनिमंत्रित अभ्यागत के रूप में बैठा हुआ। । संदिग्ध, अनियमित (रूप भी) 'वेलम् आहारोऽश्यते अनिकेत (वि.) [ न० ब० ] गृहहीन, आवारागर्द, जिसका --श० २, 3 कारणरहित, आकस्मिक 4 नश्वर । कोई नियत वासस्थान न हो (जैसे संन्यासी)।
सम-अंकः अनिश्चित अंक (गणित में),-आस्मन् अनिमीर्ण (वि.) [न० त०] 1 न निगला हुआ 2 (सा. (वि.) जिसका मन अपने वश में न हो,-पुंस्का
शा० में) जो गुप्त या छिपा हुआ न हो, प्रस्तुत, दुश्चरणशील स्त्री, व्यभिचारिणी,-वृत्ति (वि.) 1 व्यक्त।
बंधा काम करने वाला, (शब्द) जिसका प्रयोग निश्चित अमिच्छ-ग्छक ) (वि.) [नास्ति इच्छा यस्य न० ब०, | न हो, जिसकी आय नियत न हो। मनि-छुक नश् + इच्छुक, न +इष् + शतृ न० | अनियंत्रण (वि.) [न.ब.] असंयत, अनियंत्रित, स्वतंत्र अनिच्छत् )त०] न चाहता हुआ, इच्छारहित, बिना °अनुयोगो नाम तपस्विजन:-श० १। इच्छा के।
अनियमः [न० त०] 1 नियम का अभाव ; नियंत्रण; अनित्य (वि.) [न० त०] 1 जो नित्य न हो, सदा रहने अधिनियम या निश्चित क्रम का अभाव, निदेश या व्य
वाला न हो, क्षणभंगुर, अशाश्वत, नश्वर 2 क्षणस्थायी वस्थित नियम का अभाव-पंचमं लघु सर्वत्र सप्तमं आकस्मिक, जो नियमत: अनिवार्य न हो, विशेष, 3 द्विचतुर्थयोः, षष्ठे पादे गुरुज्ञेयं शेषेष्वनियमो मतः । छं. असाधारण, अनियमित, 4 अस्थिर, चंचल, ५ अनि- मं० 2 अनिश्चितता, निश्चयाभाव, संदेह 3 अनुचित श्चित, संदिग्ध-विजयस्य नित्यत्वात—पंच.३॥ आचरण। २२, -त्यम् (क्रि० वि०) कदाचित, अकस्मात । | अनिवक्त (वि.) [न० त०] 1 स्पष्ट रूप से न कहा हुआ सम० कर्मन, -क्रिया आकस्मिक कार्य जैसा कि 2 स्पष्ट रूप से व्याख्या न किया हुआ, जिसकी परिकिसी विशेष निमित्त से किया जाने वाला यज्ञ, ऐच्छिक भाषा स्पष्ट न दी गई हो, अस्पष्ट निर्वचन सहित । या सामयिक अनुष्ठान, दत्तः, ---वत्तकः, -दत्रिमः, अनिवड (वि.) [न० त०] बिना रोकटोक वाला, स्वमाता पिता के द्वारा अस्थायी रूप से किसी को दिया तंत्र, अनियंत्रित, स्वच्छंद, उच्छृखल, उद्दाम,-स: 1 गया पुत्र,-भावः क्षणभंगुरता, क्षणभंगुर स्थिति गुप्तचर 2 प्रद्युम्न के एक पुत्र का नाम । सम-पथम् -समासः वह समास जो प्रत्येक स्थिति में अनिवार्य 1 ऐसा मार्ग जहाँ कोई रोक न हो, 2 आकाश, अन्तन हो (जिसका भाव अलग-अलग विश्लिष्ट पदों द्वारा रिक्ष,-भाविनी अनिरूद्ध की पत्नी उषा। भी समान रूप से प्रकट किया जाय) ।
अनिर्णयः [न० त०] अनिश्चितता, निर्णय का अभाव । अनिद्र (वि.) [न.ब.] निद्रारहित, जागने वाला, अनिर्दश । (वि.) [न निर्गतानि दशाहानि यस्य ] बच्चे (आलं०) जागरूक।
अनिर्वशाह के जन्म या मरण के फलस्वरूप अशौच के दस भनिन्त्रियम् [न० त०] 1 तर्क 2 जो इन्द्रिय का विषय न दिन जिसके न बीते हों। हो, मन।
। अनिर्देशः [न० त०] निश्चित नियम या निदेश का अभाव।
१०] 1
तर जागने वाला / अनिल-भावित
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