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( ३२ ) जल्पंत्यनल्पाक्षरम् --पंच० १।१३६ विकसितवदनाम- | अनवेक्षक (वि०) [ न० त० ] असावधान, बेपरवाह, नल्पजल्पेपि-भामि० १११००, २११३८ ।
उदासीन। अनवकाश (वि.) [न० ब०] 1 अनाहत, 3 अप्रयोज्य 2 | अनवेक्ष-क्षा-दे० अनपेक्ष-क्षा।
जिसके लिए कोई गुंजायश या मौका न हो,-शः अनवेक्षणम् [न +अ+ईक्ष+ ल्युट् लापरवाही, अन[न० त०] स्थान या कार्यक्षेत्र का अभाव ।
वधानता। अनवग्रह (वि.) [न० ब०] जो रोका न जा सके-सुकुमार
अनशनम् [ ना +अश् + ल्युट् ] उपवास, आमरण कायमनवग्रहः स्मरः (अभिहंति) मा० ११३९ ।
उपवास। अनवच्छिन्न (वि.) [न० त०] 1 सीमांकन रहित, अपृथ
अनश्वर (वि.) [स्त्री०-री] [न० त०] अविनाशी। कृत 2 सीमारहित, अधिक 3 अनिर्दिष्ट, अविविक्त,
अनस् (पुं०) [अन् । असुन] 1 गाड़ी 2 भोजन, भात 3 अविकृत 4 अबाधित।
जन्म, 4 प्राणी 5 रसोईघर। अनवद्य (वि.) [न० त०] निर्दोष, कलंकरहित, अनिंद्य -... |
- | अनसूय-यक (वि०) [न० ब०] द्वेष रहित, ईर्ष्यारहित, रघु० ७१७०। सम०–अंग,- रूप (वि०) निर्दोष
-या न० त०] 1 ईर्ष्या का अभाव, 2 अत्रि की पत्नी, या नितान्त सुन्दर अंगों वाला ( -गी) रूपवती । स्त्रियोचित पतिभक्ति और सतीत्व का ऊँचा नमना। स्त्री।
अनहन् (नपुं०) [न० त०] बुरादिन, दुर्दिन । अनवधान (वि.) [न० ब०] निरपेक्ष, ध्यान न देने वाला,
अनाकालः [न० न० नि.] 1 कुसमय 2 दुभिक्ष (संभ-नम् [न० त०] प्रमाद, असावधानता, ता- वतः "अन्नाकाल" शब्द का अनियमित रूप)। सम० लापरवाही ।
-भतः--जो व्यक्ति दुर्भिक्ष में भूख से अपने आपको अनवधि (वि.) [न० ब०] असीमित, अपरिमित ।
बचाने के लिए स्वयं दूसरे का दास बन जाता है । अनवम (वि०) [न० त०] जो नीच या तुच्छ न हो, बड़ा, | अनाकुल (वि.) [ न० त० 11 शान्त, प्रकृतिस्थ, स्वस्थ
श्रेष्ठ, सुधर्मानबमां सभाम्-रघु० १६।२७, ९।१४। 2 अटल। अनवरत (वि०) [न० त०] अविराम, निरंतर-धनुर्ध्या- | अनागत (वि०) [ न० त०] 1 न आया हुआ, न पहुंचा
स्फालनक्रूरपूर्वम् श० २।४,-तम् (क्रि० वि०) बिना हुआ तावद्भयस्य भेतव्यं यावद्भयमनागतम्-हि० रुके, लगातार ।
११५७, 2 अप्राप्त, जो न मिला हो 3 भविष्यत्, आने अनवराय (वि०) [अवरस्मिन् अर्धे भवः---इत्यर्थे नत्र + वाला, दे० नीचे सम० को 4 अज्ञात,-तम् भविष्य___ अवराध+ यत् न० त०] मुख्य, सर्वोत्तम, सर्वश्रेष्ठ । काल, भविष्य । सम-अवेक्षणम् भविष्य की ओर अनवलंब–बन (वि.) [न० त०] अवलंबहीन, निराश्रित- देखना, आगे की ओर दृष्टि रखना,-अबाधः आन —बः,-बनम् स्वतंत्रता।।
वाला भौतिक कष्ट या विपत्ति,-आर्तवा वह कन्या अनवलोभनम् नि० त०] गर्भ के तीसरे मास किया जाने जिसका मासिक स्राव अभी आरम्भ न हुआ हो, अरवाला एक संस्कार।
जस्का,-विधातु (पुं०) आने वाले अनिष्ट का पहले अनवसर (वि.) [न० ब०] 1 व्यस्त 2 निरवकाश,-रः। ही से निराकरण करने वाला, भविष्य के विषय में
[न० त०]। अवकाश का अभाव, कुसमय होना, सावधान, दूरदर्शी (पंच० ११३१८ तथा हि० ४।५ में असामयिकता, कं याचे यत्र यत्र ध्रुवमनवसरग्रस्त इस नाम की एक मछली)। एवाथिभाव:----मा० ९/३० ।
अनागमः [न० त०] 1 न आना 2 अप्राप्ति। अनवस्कर (वि०) [न० ब०] मलरहित, स्वच्छ, साफ । अनागस् (वि.) [ न० ब०] निरपराध, निर्दोष--आर्तअनवस्थ (वि०)[न० त०] अस्थिर,—स्था [न० त०] 1 त्राणाय व: शस्त्रं नः प्रहर्तुमनागसि-श० ११११ ।
अस्थिरता 2 अनिश्चित अवस्था 2 चरित्रभ्रष्टता, अनाचारः [न० त०] अनुचित आचरण, दुराचरण, कुरीति । लम्पटता 3 (दर्शन में) किसी अन्तिम निर्णय पर न अनातप (वि०) [ न० ब०] धूप या गर्मी से युक्त, पहुँचना, कार्य-कारण की ऐसी परंपरा जिसका अन्त ताप रहित, ठंडा। न हो, तर्क का एक दोष-एवमप्यनवस्था स्याद्या मूल- | अनातुर (वि.) [ ब० त०] 1 अनुत्सुक, उदासीन 2 न क्षतिकारिणी-काव्य० २ एवं च प्रसंगः-शा।
थका हुआ, अक्लांत--भेजे धर्ममनातुर:-रघु ११२१ अनवस्थान (वि०) [न० ब०] अस्थायी, अस्थिर, चंचल, ३ अच्छा, स्वस्थ ।
-नः वायु-नम् [न० त०] 1 अस्थिरता, 2 आचा- | अनात्मन् (वि.) [ न० ब० ] 1 आत्मा या मन से रहित रभ्रष्टता, लम्पटता।
2 अनात्मिक 3 जिसने अपने ऊपर नियंत्रण नहीं रक्खा अनवस्थित (वि.) [न० त०] 1 अस्थिर, अस्थिरचित्त 2 है,--(पुं०) जो आत्मिक न हो, आत्मा से भिन्न परिवर्तित 3 आवारा।
अर्थात् नश्वर शरीर। सम-ज,--वेदिन् (वि.)
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