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तीसरा प्रश्न :
मैं विश्वास के साथ कह सकता हैं कि आप एक बीज से न कहेंगे कि अचानक छलांग लगाओ और फूल बन जाओ। लेकिन फिर मनुष्य से आप क्यों कहना चाहते हैं कि अचानक छलांग लगाओ और बुद्ध हो जाओ?
क्याकि बीज बीज है और समझ नहीं सकता, और मनुष्य बीज नहीं है और समझ सकता है।
लेकिन यदि तुम बीज हो, तो तुम नहीं सुनोगे; यदि तुम मनुष्य हो, तो तुम समझ जाओगे। यह तुम पर निर्भर करता है, क्योंकि हो सकता है तुम लगते होओ मनुष्य की भांति-लेकिन तुम शायद होओ बीज ही या चट्टान ही। जो दिखाई पड़ता है वही सत्य नहीं होता। तुम सभी लगते हो मनुष्य जैसे, लेकिन कभी-कभार ही कोई मनुष्य होता है।
यह शब्द 'मनुष्य' या अंग्रेजी शब्द 'मैन' सुंदर हैं। ये आते हैं संस्कृत मूल 'मनु' से। मनु का अर्थ होता है : 'वह जो समझ सकता है। उसी मूल से ही आते हैं भारतीय शब्द–'मन', 'मनस्वी'-वह जो समझ सकता है।'मनष्य' या 'मैन' संदर शब्द हैं। इनका अर्थ है : 'जो समझ सकता है', 'जिसमें क्षमता है समझने की।' इसलिए मैं बीज से नहीं कहता, ' अचानक छलांग लगाओ और फूल बन जाओ।' लेकिन मनुष्य से मैं कहता हूं। और यही है विडंबना, कि कई बार बीज भी इसे सुन सकता है और मनुष्य नहीं सुनेगा।
क्या तुमने लूथर बुरबांक के बारे में कुछ पढ़ा है? वह एक अमरीकी था और वृक्षों और पौधों का बहुत प्रेमी था। उसने यह चमत्कार किया. वह बातें करता था बीजों से; वह बातें करता था अपने पौधों से,
और वह बातें करता रहा निरंतर-वही तो मैं कर रहा हूं -और एक घड़ी आई जब पौधे सुनने लगे उसकी। वह एक कैक्टस पर सात वर्ष तक काम करता रहा-निरंतर बात करता रहा कैक्टस से, कहता रहा, 'तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं और सुरक्षा के लिए कुछ उपाय करने की जरूरत नहीं, क्योंकि तुम्हारे जीवन को कोई खतरा नहीं है।'
प्रत्येक कैक्टस में कांटे होते हैं उसकी सुरक्षा के लिए। वे ही उसका कवच होते हैं। रेगिस्तान में कैक्टस असुरक्षित होता है; रेगिस्तान में कैक्टस बड़ी गहरी असुरक्षा और खतरे में जीता है। रेगिस्तान में कैक्टस जीवित कैसे रह जाता है, यही एक चमत्कार है। और कोई-कोई कैक्टस तो दो हजार वर्ष तक जीवित रहते हैं, बड़े पुराने प्राचीन कैक्टस होते हैं। रेगिस्तान में पानी मिलता नहीं; जीवन एक गहन संघर्ष होता है। वे केवल ओस-कणों पर जीते हैं। इसीलिए उनके पत्ते नहीं होते; क्योंकि पत्ते