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इसीलिए तुम सुरक्षा के सारे उपाय करते हो; हर तरकीब से, चालाकी से, होशियारी से उसे घेरते हो, ताकि वह तुम्हें छोड़ न सके। लेकिन तुम प्रेम की हत्या कर रहे हो। प्रेम स्वतंत्रता है; प्रेम स्वतंत्रता देता है; प्रेम स्वतंत्रता में जीता है-प्रेम मौलिक रूप में स्वतंत्रता है। तुम नष्ट कर दोगे सारी बात। यदि तुम सचमुच ही प्रेम करते हो तो मालकियत जमाने की कोई जरूरत नहीं, तुम इतने गहरे में मालिक हो कि कुछ और की जरूरत क्या है? तुम दावेदार मत बनो; दावा बहुत संकुचित मालूम पड़ेगा। जब तुम सच में मालिक होते हो, तो तुम अपरिग्रही हो जाते हो।
लेकिन व्यक्ति को स्वयं को तैयार करना पड़ता है। तो होशपूर्ण रहो। किसी चीज पर मालकियत जमाने की कोशिश मत करो। ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर लो, और अनगृहीत होओ कि तुम्हें उपयोग करने दिया गया, लेकिन मालकियत मत बनाओ।
परिग्रह कृपणता है; और कृपण व्यक्ति का फूल नहीं खिल सकता। कृपण व्यक्ति सदा ही एक प्रकार की आध्यात्मिक कब्जियत का शिकार होता है, रुग्ण होता है। तुम्हें खुला होना चाहिए, बांटना चाहिए। जो कुछ तुम्हारे पास है, बाँटो उसे; और वह बढ़ेगा–जितना बांटो उतना वह बढ़ता है। देते जाओ, और तुम निरंतर फिर-फिर भर दिए जाते हो। स्रोत शाश्वत है; कृपण मत बनो। और जो कुछ भी है-प्रेम,
भी है, बांटो। अपरिग्रह का अर्थ होता है बांटना।
लेकिन तुम नासमझ हो सकते हो, जैसे कि बहुत लोग हैं। वे सोचते हैं, 'घर छोड़ दो, जंगल चले जाओ, क्योंकि तुम उस घर में कैसे रह सकते हो यदि तुम्हारी उस पर मालकियत नहीं है?'
तुम मजे से रह सकते हो घर में; उस पर मालकियत जमाने की कोई जरूरत नहीं है। तुम जंगल में रहोगे तो क्या तुम जंगल पर मालकियत कर लोगे? यदि तुम जंगल में बिना मालकियत के रह सकते हो तो समस्या क्या है? तो तुम घर में या दुकान में बिना मालकियत के क्यों नहीं रह सकते? मढ़ हैं जो कहते हैं, 'अपने पत्नी-बच्चों को छोड़ दो, भाग जाओ, क्योंकि अपरिग्रह का अभ्यास करना।'
मूढ़ हैं वे। कहां जाओगे तुम? तुम कहीं भी जाओगे तो जहां भी जाओगे, तुम्हारा परिग्रह का भाव तुम्हारे साथ रहेगा। कुछ अंतर नहीं पड़ेगा। तो जहां भी तम हो, बस समझो, और मालकियत को गिरा दो। कुछ गलत नहीं है तुम्हारी पत्नी में-मत कहो 'मेरी' पत्नी। बस 'मेरा' गिरा दो। कुछ गलत नहीं है तुम्हारे बच्चों में सुंदर बच्चे हैं, परमात्मा के बच्चे हैं। तुम्हें एक अवसर मिला है उनकी सेवा करने का और उन्हें प्रेम करने का उपयोग कर लो इसका, लेकिन मत कहना 'मेरा'| वे आए हैं तुमसे, लेकिन वे तुम्हारे नहीं हैं। वे भविष्य के हैं, वे संबंध रखते हैं संपूर्ण से। तुम एक मार्ग, एक माध्यम बने, लेकिन तुम मालिक नहीं हो।
.तो क्या जरूरत है कहीं भागने की? जहां भी तुम हों-वहीं रहो। वहीं रहो जहां भी ईश्वर ने तुम्हें रखा है और जीओ अपरिग्रह में, और अचानक ही तुम खिलने लगोगे-ऊर्जाए बहने लगेंगी; तुम एक