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5 जड़ तक आता है और पोषित करता है? नहीं। सूर्य को तो पता भी न होगा; फिर भी वृक्ष बढ़ते हैं, कलियां खिलती हैं, फूल अपनी सुवास बिखेरने लगते हैं, पक्षी गीत गाने लगते हैं-सारा संसार जाग जाता है। सूर्य कैसे काम करता है? क्या सूर्य कर्ता है? मैंने एक बहुत पुरानी कहानी सुनी है कि एक बार अंधेरा परमात्मा के पास पहुंचा और कहने लगा, 'अब
ने कोई अपराध नहीं किया-मेरी जानकारी में तो नहीं किया-तो क्यों आपका यह सूर्य मेरे पीछे पड़ा रहता है? निरंतर, रोज, लाखों-लाखों वर्षों से मेरे पीछे पड़ा है। मैं शिकायत करने आया हूं। और मैंने तो सूर्य का कुछ बिगाड़ा नहीं। वह क्यों पीछे पड़ा हुआ है मेरे?'
परमात्मा को भी मानना पड़ा. 'बात तो सच है, क्यों वह तुम्हारे पीछे पड़ा है?' सूर्य को बुलाया गया, और परमात्मा ने पूछा, 'क्यों तुम अंधेरे को परेशान कर रहे हो? क्यों तुम उसके पीछे पड़े हो?'
सूर्य ने कहा, 'मैंने तो अंधेरे के बारे में कभी कुछ सुना ही नहीं। आप क्या कह रहे हैं? मेरी तो कभी अंधेरे से मुलाकात भी नहीं हई। मैं तो उसे जानता भी नहीं। पीछा करने का तो प्रश्न ही नहीं उठता! मैं तो परिचित तक नहीं। उससे मेरा परिचय भी किसी ने नहीं कराया। कृपया उसे मेरे सामने बुलाएं ताकि मैं देख तो सकू कि यह अंधेरा है कौन, और फिर मैं याद रखूगा और पीछा नहीं करूंगा उसका।'
कहा जाता है कि सर्वशक्तिमान परमात्मा भी ऐसा नहीं कर सका कि अंधेरे को सूर्य के सामने ले आए। इसलिए वह मामला फाइल में ही अटका हुआ है, और परमात्मा किसी ऐसे उपाय पर विचार कर रहा है जिससे सूर्य और अंधकार अदालत में आमने-सामने हो सकें। लेकिन ऐसा लगता नहीं कि वह कोई उपाय खोज पाएगा, क्योंकि जब सूर्य होता है, अंधकार नहीं होता। ऐसा नहीं है कि सूर्य पीछे पड़ा है या कुछ कर रहा है। उसकी उपस्थिति काफी है।
सदगुरु एक कैटेलिटिक एजेंट है। इस 'कैटेलिटिक' शब्द को अच्छी तरह समझ लेना है। विशान ने कैटेलिटिक एजेंट खोजे हैं। कैटेलिटिक एजेंट वह पदार्थ है जो किसी प्रक्रिया के लिए, किसी रासायनिक प्रक्रिया के लिए बहुत जरूरी होता है, लेकिन कैटेलिटिक एजेंट स्वयं कोई हिस्सा नहीं लेता प्रक्रिया में। सिर्फ उसकी मौजूदगी चाहिए। उदाहरण के लिए : आक्सीजन और हाइड्रोजन मिलते हैं और पानी बनता है, लेकिन विद्युत चाहिए कैटेलिटिक एजेंट की तरह। यदि विद्युत मौजूद नहीं होती तो हाइड्रोजन और आक्सीजन नहीं मिलते, और विदयुत कछ करती नहीं-बस उसकी मौजदगी जरूरी है। बिना मौजूदगी के वह बात घटित नहीं होती, और विद्युत इस घटना में कुछ करती नहीं। वह किसी भी भांति नए तत्व में प्रवेश नहीं करती। वह केवल मौजूद होती है। कैटेलिटिक एजेंट एक वैज्ञानिक शब्द है, लेकिन बहुत सुंदर है।
सदगुरु को कुछ करना नहीं होता है; वह कर्ता नहीं होता है। मात्र उसकी मौजूदगी –यदि तुम प्रवेश करने दो उसकी मौजूदगी को। यह शिष्य पर निर्भर करता है। और शिष्य होने का यही अर्थ है कि तुम प्रवेश करने देते हो, कि तुम सहयोग करते हो, कि तुम ग्रहणशील होते हो–कि अब तुम