Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 03
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 417
________________ में। में होते हो, लेकिन संसार नहीं होता तुम में तुम संसार में चलते हो, लेकिन संसार नहीं चलता है तुम तुम बने रहते हो संसार में। असल में, तुम अब उसका और भी आनंद लेते हो - क्योंकि एक सपना ही है; तुम्हारे पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है। तब तुम गंभीर नहीं होते। असल में, तुम खेलने लगते हो बच्चों की भांति - क्योंकि सपना ही है। तुम उसका आनंद ले सकते हो, उसका मजा ले सकते हो। अपराधी अनुभव करने जैसा कुछ नहीं है उसमें एक उत्सव है जीवन का संसार में रह कर भी संसार के न होना, संसार में जीना और फिर भी अलग-थलग रहना; क्योंकि जब तुम जानते हो कि यह सपना है, तो तुम बिना किसी अपराध भाव के उसका आनंद ले सकते हो, और तुम बिना किसी समस्या के उससे अलिप्त रह सकते हो। - तुम थिएटर जाते हो तुम कोई पिक्चर देखने जाते हो वह सब सपना है। तीन घंटे तुम रस लेते हो उसमें। फिर बत्तियां जल जाती हैं - तुम्हें याद आता है कि यह तो मात्र एक खेल था, पर्दे पर चलता प्रकाश और छाया का खेल था। अब पर्दा खाली है। तुम घर आ जाते हो तुम भूल जाते हो सब कुछ। पूरा संसार एक विशाल पर्दे पर चलता धूप-छांव का खेल है जब तुम समझ जाते हो, तुम्हारी आंखें खुल जाती हैं। तुम जानते हो कि यह एक सपना है इससे आनंदित होने में कुछ गलत नहीं है, एक सुंदर सपना ही है। लेकिन अब तुम स्वयं में थिर रहते हो ! कठिन है बात। सांसारिक होना आसान है, क्योंकि तुम इसे सच मान लेते हो। असांसारिक होना, हिमालय जाकर साधु-संन्यासी हो जाना भी आसान है, क्योंकि तुम सब कुछ झूठ मान कर छोड़ देते हो। लेकिन इस जगत में जीना, भलीभांति जानते हुए कि यह आभास है, भलीभांति जानते हुए कि यह एक सपना है, इस तरह जीना संसार की सबसे कठिन बात है और इस सबसे कठिन बात से गुजरना तुम्हारी मदद करता है विकसित होने में सांसारिक लोग चालाक होते हैं, लेकिन बुद्धिमान नहीं; गैर-सांसारिक सीधे-सरल होते हैं, लेकिन फिर भी बुद्धिमान नहीं होते। जो लोग बाजार में जीते हैं, बहुत चालाक होते हैं, लेकिन बुद्धिमान नहीं होते। और जो संसार छोड़ देते हैं और मंदिरों में और हिमालय में जाकर बैठ जाते हैं - वे सीधे - सरल होते हैं, चालाक नहीं होते, लेकिन बुद्धिमान भी नहीं होते। क्योंकि बुद्धि केवल तभी विकसित होती है जब तुम सब तरह की स्थितियों से गुजरते हो लेकिन जागे हुए गुजरते हो। तुम नरक से भी गुजरते हो, लेकिन पूरी तरह जागे हुए गुजरते हो, तब बुद्धि विकसित होती है। बुद्धि को विकसित होने के लिए चुनौती चाहिए। यदि तुम चुनौतियों से भागते हो, तो तुम केवल सड़ते हो, तुम विकसित नहीं होते। इसीलिए मैं इस पर जोर देता हूं. संसार में रहो, और संसार के मत रहो । पांचवां प्रश्न:

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