Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 03
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 421
________________ छठवां प्रश्न: मुझे लगता है कि मैं बीच में लटका हुआ हूं : न तो इस संसार में हूं और न उस संसार में हूं न तो कुत्ता हूं और न परमात्मा हूं इस अवस्था से बाहर कैसे निकलूं? यदि तुम इससे बाहर आते हो, तो तुम कुत्ता बन जाओगे। यदि तुम खो जाते हो, पूरी तरह खो जाते हो-फिर कोई बचता ही नहीं जो इसके बाहर आ सकता हो तो तुम परमात्मा हो जाओगे। इसलिए मुझसे मत पूछो कि इससे बाहर कैसे निकलूं। यह अहंकार पूछ रहा है कि इससे बाहर कैसे निकलूं। तुम्हें पता नहीं चल रहा है कि तुम कहां हो। सुंदर है, शुभ है। थोड़े और खो जाओ-और 'ना-कुछ' हो जाओ। और मिट जाओ। तुम थोड़े कम खोए हो : आधा कुत्ता ही खोया है। भारत में हमारे पास मनुष्य के विकास के संबंध में सुंदर कथाएं हैं। सर्वाधिक अर्थपूर्ण और सुंदर कथाओं में से एक है परमात्मा के अवतार की कथा, नरसिंह अवतार की कथा-आधा मनुष्य, आधा सिंह। हिंदू अवतारों में परमात्मा का एक अवतार है नरसिह-आध मनुष्य, आधा सिंह। यही है खोई हुई अवस्था। जब तुम्हें लगता है कि तुम आधे कुत्ते हो और आधे परमात्मा; जब तुम्हें लगता है कि न तुम कुत्ते हो और न परमात्मा, हर चीज धुंधली-धुंधली है, सीमाएं अस्पष्ट हैं; जब तुम स्वयं को सेतु के मध्य में अनुभव करते हो; तो यह नरसिंह की अवस्था है. आधा मनुष्य, आधा सिंह। यदि तुम इससे बाहर आने की कोशिश करते हो, तो तुम पूरे सिंह हो जाओगे, क्योंकि तब तुम और ज्यादा सघन हो जाओगे। तुम पीछे लौट जाओगे। इससे बाहर आने का अर्थ है पीछे हट जाना। वह कोई प्रगति न होगी, विकास न होगा। उसकी जरूरत नहीं है। और खो जाओ, और मिट जाओ। तुम इतने भयभीत क्यों हो इस स्थिति से? क्योंकि तुम खोया खोया अनुभव कर रहे हो; तुम्हारी पहचान अब स्पष्ट नहीं है, तुम कौन हो एकदम पक्का नहीं है, सीमाएं खो रही हैं; तुम्हारा चेहरा एकदम पहचान में नहीं आ रहा है। तुम्हारा जीवन प्रवाह जैसा हो गया है। अब वह पत्थर जैसा नहीं है। वह पानी की भांति ज्यादा है; कोई रूप नहीं, आकार नहीं। तुम भयभीत हो जाते हो। तुम्हारे भीतर जो भयभीत है, वह कुत्ता है। क्योंकि यदि तुम थोड़ा और आगे बढ़ते हो तो कुता पूरी तरह खो जाएगा, मिट जाएगा। पहली बात, जब कोई यात्रा आरंभ करता है, तो वह बर्फ की भांति होता है, एकदम ठंडा, पत्थर जैसा होता है। जब थोड़ा आगे बढ़ता है, तो वह पिघलता है, बर्फ पानी बन जाती है। यह होती है धुंधलीधुंधली अवस्था, नरसिंह की अवस्था, आधी-आधी। यदि तुम और आगे जाते हो, तो तुम वाष्पीभूत हो

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