Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 03
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 424
________________ हां, विपरीत सब जगह मौजूद होता है। यदि प्रकाश है तो अंधकार है। यदि प्रेम है तो घृणा है। यदि मालिक है तो गुलाम का होना जरूरी है अन्यथा मालिक कैसे संभव है? तो सब से बड़ी घटना जो मनुष्य को घट सकती है, वह यह है कि वह दोनों हो जाता है- एक साथ मालिक और गुलाम दोनों हो जाता है। यह सब से बड़ी लयबद्धता है जो संभव है। आठवां प्रश्न: क्या आपके पास बने रहने की आपसे दूर न होने की आकांक्षा भी एक बंधन है? यह निर्भर करता है, क्योंकि बंधन किसी स्थिति में नहीं होता, दृष्टिकोण में होता है। यदि तुम दूर जाना चाहते हो और नहीं जा सकते, तो बंधन है यदि तुम दूर नहीं जाना चाहते, तो कोई प्रश्न ही नहीं उठता। इससे विपरीत बात भी सच है तुम यहां मेरे पास रहना चाहते हो और नहीं रह सकते, तो दूर जाना भी एक बंधन है। यदि तुम मेरे पास होना चाहते हो और आसानी से हो सकते हो, तो कोई समस्या नहीं है, कोई प्रश्न ही नहीं है। तो बंधन हो या मुक्ति, ये दृष्टिकोण हैं। ये स्थितियों पर निर्भर नहीं हैं। तुम मेरी बात समझे? यदि तुम मेरे पास होना चाहते हो और तुम्हारा मन कहे जाता है, 'चले जाओ, यहां मत रहो', तुम तो रहना चाहते हो यहां लेकिन भीतर कोई शैतान मजबूर किए जाता है, 'भाग जाओ', तो यह बंधन है, दूर चले जाना एक गुलामी है। इसी तरह यदि तुम दूर चले जाना चाहते हो, और तुम्हारे भीतर का कोई भय कहता रहता है, 'मत जाओ! यदि तुम यहां से चले जाओगे तो संपर्क खो जाएगा, तुम गुरु खो दोगे, गुरु के साथ तुम्हारा संपर्क खो जाएगा.... मत जाओ यहां से! एक तरह का भय तुम्हें विवश किए जाता है यहीं रहने के लिए, और तुम यहां से चले जाना चाहते हो तो यह भी एक बंधन है। तो बंधन क्या है? बंधन वह बात है, जिसे तुम्हें जबरदस्ती करना पड़ता है सम्मोहन की भांति, विवशता की भांति, तुम बिलकुल नहीं चाहते कुछ करना और तुम्हें वह करना पड़ता है। तुम्हें अपने ही विरुद्ध कुछ करना पड़ता है, तो यह बंधन है - फिर वह चाहे कुछ भी हो। और यदि तुम सहजता से बहते हो, यही तुम हमेशा से करना चाहते थे और तुम उसे अपने पूरे हृदय से कर रहे हो, अपने पूरे प्राणों से कर रहे हो, तो वह स्वतंत्रता है।

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