Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 03
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 406
________________ अपने आंतरिक राज्य और बाहरी राज्य के बीच चुनना हो, तो तुम आंतरिक राज्य चुनोगे-उस क्षण, पहली बार, तुम-तुम नहीं रहते : तुम मालिक हो जाते हो। भारत में संन्यासियों के लिए हम 'स्वामी' शब्द का प्रयोग करते रहे हैं। स्वामी का अर्थ होता है मालिक, इंद्रियों का मालिक। वरना तो तुम सभी गुलाम हो-और गुलाम हो मुर्दा चीजों के, गुलाम हो भौतिक संसार के। और जब तक तुम मालिक नहीं हो जाते, तुम सुंदर नहीं हो सकते। तुम कुरूप हो; तुम कुरूप ही रहोगे। जब तक तुम मालिक नहीं हो जाते, तुम नरक में रहोगे। स्वयं का मालिक होना है स्वर्ग में प्रवेश करना। वही एकमात्र स्वर्ग है। प्रत्याहार तुम्हें मालिक बना देता है। प्रत्याहार का अर्थ है : अब तुम चीजों के पीछे नहीं भटक रहे हो, चीजों के पीछे नहीं भाग रहे हो, चीजों की खोज में नहीं हो। वही ऊर्जा जो संसार में भटक रही थी, अब केंद्र पर लौट आती है। जब ऊर्जा केंद्र में लौटती है, तब रहस्यों पर रहस्य खुलते चले जाते हैं। तुम पहली बार स्वयं के सामने प्रकट होते हो-तुम जानते हो कि तुम कौन हो। और यह जानना कि मैं कौन हूं तुम्हें परमात्मा बना देता है। शेक्सपियर का हेमलेट सही है, जब वह आदमी के बारे में कहता है, 'कितना ईश्वर जैसा है!' पावलोव सही नहीं है जब वह आदमी के बारे में कहता है, 'कितना कुत्ते जैसा है! लेकिन यदि तुम चीजों के पीछे भाग रहे हो, तो पावलोव सही है, हेमलेट गलत है। यदि तुम चीजों के पीछे भाग रहे हो, तो स्किनर सही है, लेविस गलत है। मैं फिर से कह दूं : 'आदमी उखड़ा जा रहा है', सी. एस लेविस कहता है। बी .एफ. स्किनर कहता है, 'अच्छा छुटकारा है।' शेक्सपियर का हेमलेट कहता है, 'कितना ईश्वर जैसा है!' पावलोव कहता है, 'कितना कुत्ते जैसा है।' यह तुम्हारे चुनने की बात है कि तुम क्या होना चाहोगे। यदि तुम भीतर उतरते हो, तो तुम परमात्मा हो। यदि तुम बाहर की यात्रा पर हो, तो पावलोव सही है। आज इतना ही।

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