Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 03
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 412
________________ पूरी बात को बिगाड़ देगा - क्योंकि कौन करेगा प्रयास ? यदि तुम किसी से अंतस से अंतस का मिलन करने की कोशिश कर रहे हो, मिटने की कोशिश कर रहे हो, तो मिटने की वह कोशिश ही एक बाधा हो जाएगी; मिलने की वह कोशिश ही, मिलने की वह इच्छा ही एक दूरी निर्मित कर देगी। इसीलिए मैं कहता हूं. तुम नितांत अकेले हो । मत कोशिश करो किसी से मिलने की। बस पूरी तरह अकेले हो रहो, और यदि दूसरा भी पूरी तरह अकेला है तो मिलन घटित होगा। ऐसा नहीं कि तुम कोई तैयारी करते हो उसके लिए। ऐसा नहीं कि तुमने कोई प्रयास किया होता है, कोई योजना बनाई हो है उसके लिए वह बात इतनी विराट है कि तुम उसे प्रयास से उपलब्ध नहीं कर सकते। वह इतनी विराट है कि तुम उसे अपनी मुट्ठी में नहीं पकड़ सकते। तुम केवल अपने को हटा सकते हो कि वह घट सके। प्रेम या परमात्मा-विराट घटनाएं हैं। तुम बहुत छोटे हो यदि तुम कोशिश करते हो, तो तुम असफल होओगे, तुम्हारी उस कोशिश में ही असफलता छिपी है। कोई कोशिश मत करो। बस अपने निर्मल एकांत में, अपने शुद्ध स्वात में थिर रहो मौन, शांत, स्वयं में प्रतिष्ठित, केंद्रित रहो। अचानक कुछ तुममें अवतरित होता है और तुम खो जाते हो। सेतु खो जाता, अहंकार नहीं बचता। पहली बार यह घटना अचानक ही घटती है। जब गुरु उतरता है शिष्य में, 7 या प्रेमी प्रेयसी में, या प्रेयसी मित्र में - जब भी घटित होती है यह बात तो अचानक ही होती है। यह सदा ही एक अप्रत्याशित घटना होती है। तुम्हें भरोसा नहीं आता कि क्या हो गया है। यह एक अविश्वसनीय घटना है, सब से ज्यादा असंभव घटना है, लेकिन फिर भी घटती है। तीसरा प्रश्न : यदि जीवन अस्तित्व की एक आनंदपूर्ण लीला है तो फिर सभी जीव दुख क्यों भोग रहे है? तुम कृपा करके भूल जाओ सभी जीवों के बारे में। तुम कुछ नहीं जानते हो। मैं नहीं भोग रहा हूं दुख। तुम शायद भोग रहे होगे दुख तो सब जीवों की बात मत करो तुम स्वयं को भी नहीं जानते हो तो कैसे तुम दूसरों को जान सकते हो? केवल अपनी बात करो, क्योंकि चीजें वैसे ही जटिल हु हैं। जब तुम सभी की बात करने लगते हो, तो तुम करीब-करीब असंभव ही बना लोगे इसे समझ पाना । केवल तुम से काम चल जाएगा। केवल इतना ही कहो. मैं क्यों दुख भोग रहा हूं? यदि जीवन अस्तित्व की एक आंनदपूर्ण लीला है, तो मैं क्यों दुख भोग रहा हूं?' केवल इतने से काम चल जाएगा। सारे जीवों की बात भूल जाओ, उससे तुम्हारा कुछ लेना-देना नहीं है। यदि वे दुख भोगना चाहते हैं,

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