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उत्तर किसी मन से नहीं आ रहा है। मन का उपयोग किया जा रहा है उसे तुम तक पहुंचाने के लिए लेकिन वह मन से नहीं आ रहा है। मन केवल माध्यम है, स्रोत नहीं है।
आज इतना ही।
प्रवचन 59 - प्रत्याहार-स्त्रोत की और वापसी
योग-सूत्र:
(साधनापाद)
तत: क्षीयते प्रकाशावरणम् ।। 52।।
फिर उस आवरणप का विसर्जन हो जाता है, तो प्रकाश को ढके हुए है।
धारणास् च योग्यता मनसः।। 53।।
और तब मन धारणा के योग्य हो जाता है।
स्वविषयासम्प्रयोगे चित्तस्वरूपानुकार इवेन्द्रियाणां प्रत्याहारः।। 54।।
योग का पांचवां अंग है प्रत्याहार-स्त्रोत पर लौट आना। यह मन की उस क्षमता की पुनर्स्थापना है जिससेबाहम विषय जनित विक्षेपों से मुक्त हो इंद्रियों वश में हो जाती है।
तत: परमा वश्यतोन्द्रियाणाम्।। 55 //