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अप्रयास एक अदभुत घटना है। एक बार तुम यह जान लेते हो तो लाखों-लाखों बातें तुम्हारे लिए संभव हो जाती हैं। प्रयास से मिलता है बाजार अप्रयास से मिलता है परमात्मा प्रयास से तुम कभी नहीं पहुंच सकते निर्वाण तक तुम नई दिल्ली पहुंच सकते हो, लेकिन निर्वाण तक नहीं। प्रयास से तुम संसार की वस्तुएं पा सकते हो; वे कभी बिना प्रयास के नहीं मिलती, इसे याद रखना। यदि तुम ज्यादा धन की तलाश में हो, तो मेरी मत सुनना, क्योंकि तब तुम बहुत नाराज होओगे मुझ पर कि इस आदमी ने मेरी पूरी जिंदगी बरबाद कर दी यह कहता था प्रयास करना छोड़ो, और बहुत सी बातें संभव हो जाएंगी, और मैं बैठा हूं और इंतजार कर रहा हूं और धन आ ही नहीं रहा है! और कोई नहीं आ रहा है निमंत्रण लेकर कि आइए और कृपा करके राष्ट्रपति बन जाइए देश के !
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कोई नहीं आएगा। ये मूढताएं प्रयास द्वारा प्राप्त करनी होती हैं यदि तुम राष्ट्रपति बनना चाहते हो तो तुम्हें इसके लिए बड़ा विक्षिप्त प्रयास करना पड़ता है। जब तक तुम पूरी तरह पागल न हो जाओ, तुम कभी किसी देश के राष्ट्रपति न बनोगे। ध्यान रहे, तुम्हें ज्यादा पागल होना पड़ता है दूसरे प्रतिवाद्वियों की अपेक्षा, क्योंकि तुम अकेले नहीं हो। बड़ी प्रतियोगिता है; दूसरे कई और भी कोशिश कर रहे हैं। असल में प्रत्येक व्यक्ति कोशिश कर रहा है उसी जगह पहुंचने की बड़े कठिन प्रयास की जरूरत है। और सौम्य ढंग से, सज्जनता से मत करना प्रयास, अन्यथा तुम हार जाओगे। कोई सौम्यता - सज्जनता काम नहीं आती वहां। कठोर, हिंसक, आक्रामक होना पड़ता है। इसकी फिक्र नहीं कि तुम दूसरों के साथ क्या कर रहे हो। बस, अपने लक्ष्य पर डटे रहना है। यदि दूसरे मरते भी हों तुम्हारी सत्तागत राजनीति की खातिर, तो मरने दो उन्हें । प्रत्येक व्यक्ति को सीढ़ी बना लो - एक साधन लोगों के सिरों पर पैर रख कर बढ़ते जाओ; केवल तभी तुम राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बन सकते हो। और कोई उपाय नहीं है।
संसार के मार्ग हैं हिंसा और संकल्प के मार्ग । यदि तुम शिथिल कर देते हो संकल्प को, तो तुम हटा दिए जाओगे; कोई छलांग लगा कर तुम्हारे ऊपर चढ़ जाएगा। तुम साधन बना दिए जाओगे ।
यदि तुम संसार के मार्गों पर सफल होना चाहते हो तो कभी मत सुनना पतंजलि जैसे लोगों की, तो बेहतर है मैक्यावेली को, चाणक्य को पढना- जो चालाक हैं, संसार के सर्वाधिक चालाक व्यक्ति हैं। वे तुम्हें बताएंगे कि कैसे सब का शोषण करना और किसी को अपना शोषण नहीं करने देना। कैसे निर्दयी होना - बिना किसी करुणा के, एकदम कठोर। केवल तभी तुम पा सकते हो सत्ता, प्रतिष्ठा, धनसंसार की तमाम चीजें लेकिन यदि तुम कुछ पारलौकिक अनुभूति पाना चाहते हो, तो एकदम विपरीत बात चाहिए—अप्रयास चाहिए, प्रयास - शून्यता चाहिए, विश्रांति चाहिए ।
बहुत बार ऐसा हुआ है. राजनीति की दुनिया के धन की बाजार की दुनिया के बहुत से मित्र हैं मेरे । वे आते हैं मेरे पास और वे कहते हैं, 'हमें किसी भांति शांत होना सिखा दें। हम आराम से नहीं बैठ सकते, शांत नहीं बैठ सकते! एक मंत्री आया करते थे मेरे पास और उनकी एक ही समस्या थी, मैं शांत नहीं हो सकता। मेरी मदद करें।'