Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 03
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 377
________________ मालूम होती है। इसीलिए क्योंकि वह प्रक्षेपण कर सकता है; वह अपना एक काल्पनिक संसार निर्मित कर सकता है। अब तुम उससे कहते हो, 'बंद करो यह सब। तुम्हारे बच्चे परेशान हो रहे हैं, तुम्हारी पत्नी दुखी हो रही है; तुम्हारी नौकरी छूटी जा रही है! बंद करो यह सब।' लेकिन वह बंद नहीं कर सकता, क्योंकि उसे एक काल्पनिक संसार की झलक मिल गई है, वह झलक बहुत सुंदर मालूम होती है। अब यदि वह पीना बंद कर दे, तो संसार बहुत रूखा-सूखा, बहुत साधारण मालूम पड़ता है। वृक्ष उतने हरे नहीं दिखाई पड़ते और फूलों की सुगंध उतनी मोहक नहीं मालूम पड़ती; वह पत्नी भी-जिसे सुखी करने की सीख तुम दे रहे हो उसको-वह भी बड़ी साधारण, रोजमर्रा की, मुर्दा सी चीज मालूम पड़ती है। जब वह किसी मादक द्रव्य के प्रेम में पड़ता है, तो वही पत्नी क्लियोपैट्रा, संसार की सर्वाधिक सुंदर स्त्री मालूम पड़ती है। वह एक भ्रम में जीवन जीता है। सारे अनुभव रासायनिक हैं-बिना किसी अपवाद के। जब तुम तेज सांस लेते हो, तो तुम्हारे शरीर में आक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है, कार्बन डायआक्साइड की मात्रा कम हो जाती है। ज्यादा आक्सीजन भीतर के रासायनिक तत्वों को बदल देती है। तुम ऐसी चीजें अनुभव करने लगते हो जिन्हें तुमने पहले कभी अनुभव न किया था। यदि तुम तेजी से गोल घूमते हो, जैसा कि दरवेश नृत्यों में घूमते हैं तेज लटू की तरह, तो शरीर बदलता है; रासायनिक तत्व बदलते हैं तेज घूमने से। तुम चकराया हुआ अनुभव करते हो, एक नया संसार खुल जाता है। सारे अनुभव रासायनिक हैं। जब तुम भूखे होते हो, तो संसार अलग दिखाई पड़ता है। जब तुम्हारा पेट भरा होता है, तुम तृप्त होते हो, तब संसार अलग ही मालूम पड़ता है। गरीब आदमी का संसार अलग होता है और अमीर आदमी का संसार अलग होता है। उनके रासायनिक तत्वों में भेद होता है। बुदधिमान व्यक्ति का संसार अलग होता है, और एक मूठ व्यक्ति का संसार अलग होता है। उनके रासायनिक तत्व भिन्न होते हैं। स्त्री का संसार अलग होता है, पुरुष का संसार अलग होता है। उनके रासायनिक तत्व भिन्न होते हैं। जब कोई कामवासना की दृष्टि से प्रौढ़ होता है, चौदह या पंद्रह वर्ष की उम्र में, तो एक अलग ही संसार प्रकट होता है, क्योंकि उसके खून में नए रसायन बह रहे होते हैं। सात साल के बच्चे से यदि तुम बात करो कामवासना की या आर्गाज्य की, तो वह सोचेगा कि तुम मूढ़ हों-'क्या बेकार की बातें कर रहे हो?'-क्योंकि वे रसायन प्रवाहित नहीं हो रहे हैं; वे हार्मोन्स मौजूद नहीं हैं रक्त में। लेकिन चौदह-पंद्रह वर्ष की अवस्था आते-आते आंखें नए रासायनिक तत्वों से भर जाती हैं-एक साधारण स्त्री अचानक रूपांतरित हो जाती है। मुल्ला नसरुद्दीन छुट्टियों में पहाड़ पर जाया करता था। कभी वह पंद्रह दिन के लिए जाता और दस दिन में ही वापस आ जाता। बीस ने उससे पूछा, 'बात क्या है? तुमने पंद्रह दिन की छुट्टी मांगी थी, और तुम पांच दिन पहले ही लौट आए!' और कई बार वह दो हफ्ते की छुट्टी लेता और चार हफ्तों के बाद आता।'तो बात क्या है?' बीस ने पूछा।

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