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अगर तुम उसे एक संकेत भी दो कि 'तुम इतने महान नहीं हो जितना कि तुम सोचते हो', तो वह क्रोधित हो जाएगा। केवल एक वास्तविक श्रेष्ठ व्यक्ति ही अंतिम व्यक्ति के रूप में पीछे खड़ा हो सकता है। सारे हीनता से पीड़ित लोग आगे की तरफ भागते हैं, क्योंकि यदि वे पीछे होते हैं, तो वे 'ना-कुछ' मालूम होते हैं। उन्हें जल्दी आगे पहुंचना है! उन्हें राजधानी में होना है। उन्हें धन के अंबार चाहिए। उन्हें बड़ी कार चाहिए। उन्हें सब कुछ चाहिए। जिन लोगों में हीनता की ग्रंथि होती है, वे हमेशा अपनी श्रेष्ठता चीजों दवारा प्रमाणित करने की कोशिश में रहते हैं।
मैं इसे संक्षिप्त में कह दूं : जिन लोगों के पास कोई आत्मा नहीं होती वे उसे चीजों द्वारा पाने का प्रयास करते हैं-पद से, प्रतिष्ठा से, नाम से, ख्याति से। कभी-कभी तो ऐसा भी होता है अमरीका में एक आदमी ने सात आदमियों की हत्या कर दी। वे सातों के सातों आदमी उसके लिए अपरिचित थे। उससे अदालत में पूछा गया, 'तुमने ऐसा क्यों किया?' उसने कहा, 'मैं प्रसिद्ध नहीं हो सकता था, तो मैंने सोचा कम से कम मैं बदनाम तो हो सकता हूं। लेकिन मैं कुछ तो हो जाऊं। और मैं खुश हूं कि मेरी फोटो अखबारों में मुखपृष्ठों पर आई है हत्यारे के रूप में। अब आप जो चाहें सजा मुझे दे सकते हैं। अब मैं अनुभव करता हूं कि मैं 'कुछ' हूं। और अदालत चिंतित है, सरकार चिंतित है, और लोग घबडाएं हए हैं, और समाचारपत्र चर्चा कर रहे हैं मेरे बारे में मैं कल्पना कर सकता है कि प्रत्येक होटल में, रेस्तरां में, हर कहीं लोग मेरे बारे में बात कर रहे होंगे। कम से कम एक दिन के लिए तो मैं प्रसिद्ध हो गया, सब लोग मेरे बारे में जान गए।'
सारे राजनीतिज्ञ हत्यारे हैं। तुम इसे नहीं देख सकते, क्योंकि कहीं भीतर गहरे में तुम भी राजनीतिज्ञ हो। अभी-अभी मुजीबुर्रहमान की हत्या कर दी गई, अभी कुछ ही दिन पहले तक वह राष्ट्रपिता था।
और राष्ट्रपिता बनने के लिए उसने इतना उपद्रव किया। उसने बहुतो की हत्या की-या उसने ऐसी स्थिति पैदा कर दी जिसमें बहुत लोगों की हत्या हुई। अब उसे उसके अपने ही साथियों ने मार डाला। उसका पूरा मंत्रिमंडल फिर सत्ता में है और जिन लोगों ने उसकी हत्या का षड्यंत्र रचा-अब वे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री और मंत्री हैं। और वे सभी उसके साथी थे, और कोई कुछ नहीं कह रहा है उनके विरुद्ध। कोई भी उनके विरोध में कुछ नहीं कह रहा है। यह संसार बिलकुल अविश्वसनीय मालूम पड़ता है! अब वे हैं बड़े आदमी। और शायद उसी मंत्रिमंडल का ही कोई व्यक्ति अब मुश्ताक अहमद को मारने की साजिश कर रहा हो।
सारे राजनीतिज्ञ हत्यारे हैं, क्योंकि उन्हें तुम्हारी फिक्र नहीं होती। उन्हें फिक्र होती है उनकी अपनी महत्वाकांक्षा की. उन्हें कुछ बनना है। अगर हत्या से उनकी महत्वाकांक्षा पूरी होती हो, तो ठीक है। अगर हिंसा से उनकी महत्वाकांक्षा पूरी होती हो, तो ठीक है।
मैं अभी कुछ दिन पहले एक किताब पढ़ रहा था। मैं विश्वास न कर सका उस बात पर, लेकिन वह सच है। मैं एक किताब पढ़ रहा था लेनिन के विषय में। किसी ने उसे बीथोवन का संगीत सुनने के लिए निमंत्रित किया। उसने मना किया, और उसने बहुत जोर से मना किया, एकदम दृढ़ता से। वस्तुत: