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आत्म-विश्लेषण करने वाले लोग जीवन से भाग जाते हैं और हिमालय चले जाते हैं। वे विकृत हैं बीमार हैं, रोगग्रस्त हैं। स्वस्थ व्यक्ति में एक संतुलित गति होती है. वह भीतर भी जा सकता है, वह बाहर भी जा सकता है। उसके लिए भीतर-बाहर की कोई समस्या नहीं होती। असल में वह आंतरिक जीवन और बाहरी जीवन को बांटता ही नहीं। उसका प्रवाह मुक्त होता है, उसकी गति मुक्त होती है। जब जरूरत होती है तो वह भीतर मड़ जाता है। जब जरूरत होती है तो वह बाहर आ जाता है। वह बाहरी संसार के विरुद्ध नहीं होता, वह भीतरी संसार के पक्ष में नहीं होता। भीतर और बाहर ठीक अंदर जाती और बाहर जाती श्वास की भांति होने चाहिए दोनों की जरूरत है।
आत्म–विश्लेषक बहुत सोच-विचार में उलझ जाते हैं, बहुत भीतर बंद हो जाते हैं। वे बाहर जाने में डरते हैं, क्योंकि जब भी वे बाहर जाते हैं, चारों तरफ समस्याएं हैं, तो वे बंद होकर बैठ जाते हैं। वे झरोखों, खिड़कियों से रहित गुफा बन जाते हैं। और फिर समस्याएं ही समस्याएं हैं-मन बनाए चला जाता है समस्याएं और वे उनको सुलझाने की कोशिश करते रहते हैं!
आत्म-विश्लेषण करने वाले आदमी की पागल होने की बहुत संभावना होती है। अंतर्मुखी व्यक्ति बहिर्मुखी व्यक्तियों की अपेक्षा ज्यादा पागल होते हैं। यदि तुम पागलखाने में जाओ तो तम पाओगे कि वहां निन्यानबे प्रतिशत लोग अंतर्मुखी हैं, आत्म-विश्लेषक हैं, और बहुत से बहत एक प्रतिशत ही बहिर्मुखी हैं। बहिर्मुखी लोगों को चीजों की भीतरी अवस्था की फिक्र नहीं होती। वे सतत पर जीते हैं। वे सोचते ही नहीं कि समस्याएं हैं। वे सोचते हैं कि जीवन मजा करने के लिए है। खाओ, पीओ और मौज करो-यही उनका कुल धर्म है, इसके अलावा कुछ भी नहीं है।
तुम बहिर्मुखी व्यक्तियों को सदा ही अंतर्मुखी व्यक्तियों की अपेक्षा ज्यादा स्वस्थ पाओगे क्योंकि कम से कम उनका संपर्क तो होता है समग्र के साथ। अंतर्मुखी सारा संपर्क खो देता है समग्र के साथ। वह जीता है अपने सपनों में। वह श्वास बाहर नहीं छोड़ता। जरा सोचो, यदि तुम श्वास बाहर न आने दो, तो बीमार पड़ जाओगे, क्योंकि भीतर गई श्वास सदा ताजी न रहेगी। कुछ पलों के भीतर ही वह बासी पड़ जाएगी, कुछ पलों में ही वह आक्सीजन खो देगी, जीवन खो देगी। कुछ पलों में ही वह चुक जाएगी-और तब तुम बासी हवा में, मृत हवा में जीओगे। तुम्हें बाहर जाना होगा जीवन के नए स्रोत खोजने के लिए ताजी हवा पाने के लिए। तुम्हें सतत बाहर से भीतर, भीतर से बाहर गति करते रहना होगा।
मेरे देखे, यदि तुम अंतर्मुखी और बहिर्मुखी के बीच चुनना चाहते हो, तो मैं तुम से कहूंगा कि बहिर्मुखी चुनना। वह कम बीमार है-सतह पर जीता है, सत्य को बिलकुल नहीं जान सकता, लेकिन कम से कम पागल तो नहीं होता। अंतर्मखी जान सकता है सत्य को, लेकिन वह सौ में से एक संभावना है। निन्यानबे प्रतिशत संभावना तो यही है कि वह पागल हो जाएगा।