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कौन है स्वार्थी? जो अपनी आत्मा बेच देता है सोने के सिक्कों के लिए वह स्वार्थी है? या जो संसार की हर चीज छोड़ देता है अपनी आत्मा उपलब्ध करने के लिए वह स्वार्थी है? संसार में लोग स्वयं को खो देते हैं और पाते कुछ भी नहीं, और तुम उन्हें स्वार्थी कहते हो। वे निःस्वार्थी लोग हैं, मूढ़ लोग हैं। फिर बुद्ध हैं, जीसस हैं, कृष्ण हैं-वे परम महिमा को, परम आनंद को उपलब्ध हुए। बुद्ध ने कहा है, ""मैं श्रेष्ठतम समाधि को उपलब्ध हआ हं, परम समाधि को उपलब्ध हआ हं।' और तुम उन्हें निःस्वार्थी कहते हो? जो परम आनंद को उपलब्ध हुए हैं, तुम उन्हें निःस्वार्थी कहते हो? तुम ने एक सुंदूर शब्द को विकृत कर दिया है।
जीसस ठीक कहते हैं, 'यदि किसी को मेरे पीछे आना है तो उसे स्वयं को इनकार करना होगा।' क्योंकि वही एकमात्र ढंग है स्वयं को उपलब्ध होने का। वे स्वार्थ सिखा रहे हैं। और वह अपना क्रॉस उठाए और आए मेरे पीछे।' क्योंकि वही एकमात्र ढंग है पुनरुज्जीवित होने का।
यदि तुम नया जीवन चाहते हो तो तुम्हें मरना होगा। यदि तुम पुनरुज्जीवित होना चाहते हो, तो तुम्हें उठाना ही होगा अपना क्रॉस। पदार्थ के संसार में सूली चढ़ जाओ और तुम पुनरुज्जीवित हो उठोगे अध्यात्म के जगत में। अतीत के प्रति क्षण-क्षण मरते जाओ, ताकि तम वर्तमान में क्षण-क्षण पुनरुज्जीवित हो सको।
मरना एक कला है, एक मूलभूत कला है। और जो मरना जानते हैं, वे ही जीना जानते हैं। जो व्यक्ति भयभीत हैं मरने से, भयभीत हैं मृत्यु से और मिटने से, वे अक्षम हो जाते हैं जीने में, क्योंकि मृत्यु जीवन का ही हिस्सा है।
जब जीसस कहते हैं, 'उठाओ अपना क्रॉस और आओ मेरे पीछे।' तो वे कह रहे हैं, 'मरने के लिए तैयार हो जाओ यदि तुम शाश्वत जीवन पाना चाहते हो।' यह स्वार्थ है।
और जब जीसस जैसे लोग कहते हैं, 'मेरे पीछे आओ', तो तुम उनको गलत समझोगे। जब कृष्ण गीता में अर्जुन से कहते हैं, 'सर्व धर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज-मुझ एक की शरण में आ जाओ। तो वे क्या कह रहे हैं? क्या ये लोग अहंकारी हैं? वे कहते हैं, 'आओ, मेरे पीछे आओ।'
असल में जब जीसस कहते हैं, 'आओ, मेरे पीछे आओ', तो वे कह रहे हैं, 'मैं तुम्हारी आत्यंतिक आत्मा हूं।' जब कृष्ण कहते हैं, 'समर्पण करो मुझे', तो वे इस बाहरी कृष्ण के प्रति समर्पण करने के लिए नहीं कह रहे हैं। वे कह रहे हैं : 'तुम्हारी गहराई में मैं छिपा हुआ हूं। जब तुम मेरे प्रति समर्पित होते हो, तो मैं सिर्फ एक बहाना हूं समर्पण के लिए। पहुंचोगे तो तुम अपनी सत्ता के अंतरतम केंद्र पर। मेरे पीछे आओ, ताकि तुम अपने आत्यंतिक केंद्र को उपलब्ध हो सको। मैं उस आत्यंतिक केंद्र को उपलब्ध हो चुका हूं।' वे जीसस का या कृष्ण का अनुसरण करने के लिए नहीं कह रहे हैं। वे कह रहे हैं, 'समर्पण करो, क्योंकि समर्पण में तुम स्वयं ही कृष्ण, जीसस हो जाओगे। और यह परम स्वार्थ है।