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8-जीवन की समस्याओं के आधार में मेरे मन का कितना हिस्सा है?
मेरी जिम्मेदारी क्या है?
9-क्या छोटे बच्चों को आभा-मंडल दिखाई देता है?
10-बुद्धत्व को उपलब्ध लोगों में पुरुषों की अपेक्षा
स्त्रियों की संख्या इतनी कम क्या है।
पहला प्रश्न :
क्या कुछ लोग दूसरों की अपेक्षा अधिक मूड होते हैं?
मन मात्र मूढ़ है। जब तक तुम मन के पार नहीं जाते, तुम मूढ़ता के पार नहीं जाते; जैसा मन है,
वह मूढ़ है। और मन दो प्रकार के होते हैं : बहुत जानने वाला मन और कम जानने वाला मन। लेकिन दोनों ही मूढ़ हैं। बहुत जानकारी वाले मन को बुद्धिमान माना जाता है, लेकिन वह बुद्धिमान होता नहीं। कम जानकारी वाला मन मढ़ माना जाता है, लेकिन दोनों ही मूढ़ हैं।
अपनी मूढ़ता में भी तुम बहुत कुछ जान सकते हो; तुम बहुत जानकारी इकट्ठी कर सकते हो; तुम शास्त्रों का बड़ा बोझ लिए चल सकते हो, तुम प्रशिक्षित कर सकते हो मन को, संस्कारित कर सकते हो मन को; तुम बहुत कुछ कंठस्थ कर सकते हो, तुम करीब-करीब एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका बन सकते हो। लेकिन इन बातों से तुम्हारी मूढ़ता में कोई अंतर नहीं पड़ता है। असल में अगर तुम्हारा मिलना किसी ऐसे व्यक्ति से हो जो मन के पार जा चुका हो-तो तुम्हारी मूढ़ता ज्यादा स्पष्ट होगी उनकी अपेक्षा जिनके पास कोई जानकारी नहीं है, जो कुछ नहीं जानते हैं। केवल ज्यादा जानना ही ज्ञानी होना नहीं है, और केवल कम जानना ही क होना नहीं है।