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ध्यानी व्यक्ति के आभामंडल की बड़ी शांतिमय गुणवत्ता होती है; एक शाति, एक शीतलता छाई रहती है उसके आस-पास ऐसा व्यक्ति जो बहुत चिंतित होता है, अशांत होता है, तनावग्रस्त होता है, उसके आभा-मंडल में भी वही तत्व होते हैं। जो व्यक्ति बहुत तनावग्रस्त है, वह कोशिश कर सकता है मुस्कुराने की, चेहरा कुछ का कुछ बनाने की, मुखौटा ओढ़ने की, लेकिन जब वह तुम्हारे पास आएगा तो उसका आभा मंडल असलियत को प्रकट कर देगा।
और ऐसा ही कानों के साथ भी होता है। जैसी आंखों की एक गहन अंतर्दृष्टि होती है, वैसे ही कानों के पास श्रवण की गुणवत्ता होती है तब तुम किसी व्यक्ति के शब्दों को नहीं सुनते, बल्कि उलटे तुम उसके संगीत को सुनते हो। तुम उन शब्दों पर ध्यान नहीं देते जिनका वह प्रयोग करता है, बल्कि भाव पर ध्यान देते हो, उसकी आवाज की लय पर ध्यान देते हो-ध्यान देते हो आवाज की आंतरिक गुणवता पर जो बहुत कुछ कहती है जिसे शब्द छिपा नहीं सकते, बदल नहीं सकते वह व्यक्ति शायद बहुत विनम्र होने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन उसकी ध्वनि में कठोरता होगी। वह व्यक्ति शायद बहुत शालीनता प्रकट कर रहा हो, लेकिन उसकी ध्वनि उसकी अशालीनता को प्रकट कर देगी। हो सकता है वह आदमी कोशिश कर रहा हो अपनी दृढ़ता दिखाने की, लेकिन उसकी ध्वनि उसकी झिझक को प्रकट कर देगी ।
और यदि तुम ध्वनि को सुन सकते हो, और यदि तुम आभामंडल को देख सकते हो, और यदि तुम अपने निकट आए व्यक्ति के अंतस की गुणवत्ता को अनुभव कर सकते हो, तो तुम बहुत सी बातों में सक्षम हो जाते हो और वे बातें बड़ी सरल हैं। जब तपश्चर्या की शुरुआत होती है तब वे जाग्रत होने लगती हैं।
फिर और भी गहरी शक्तियां हैं, जिन्हें योग सिद्धियां कहता है-जादुई शक्तियां, अद्भुत शक्तियां वे चमत्कार जैसी लगती हैं, क्योंकि हम उनकी प्रक्रिया को नहीं समझते, कि वे कैसे काम करती हैं। जब तुम पूरी प्रक्रिया को समझ लेते हो, तो वे चमत्कार नहीं लगती। असल में चमत्कार जैसा कुछ होता ही नहीं जो भी होता है किसी नियम के अनुसार होता है। लेकिन जब नियम का पता नहीं चलता, तो तुम उसे चमत्कार कह देते हो। जब नियम का पता चल जाता है तो चमत्कार मिट जाता है। अभीअभी भारत के गांवों में टेलीविजन पहुंचा। पहली बार गांव वालों ने इंदिरा गांधी को देखा टेलीविजन के डिब्बों में, जैसा कि गांव वाले उन्हें कहते हैं- 'तस्वीर वाले डिब्बे । ' उन्हें भरोसा ही न आया। असंभव। उन्होंने चारों तरफ चक्कर काट कर देखा डिब्बों के आस-पास; उन्होंने हर तरफ से देखा ! कैसे इंदिरा गांधी छिपी है इस डिब्बे में? चमत्कार है! अविश्वसनीय रूप से चमत्कार है! लेकिन एक बार तुम समझ लेते हो नियम को तो बात बड़ी आसान हो जाती है।
सारे चमत्कार नियमों के पता न होने के कारण चमत्कार लगते हैं। योग कहता है कि संसार में कहीं कोई चमत्कार नहीं होते। क्योंकि 'चमत्कार' का मतलब है कोई ऐसी चीज जो नियम के विरुद्ध है, जो