________________ जानता है। और इस संबंध में योग विज्ञान की अपेक्षा ज्यादा वैज्ञानिक मालूम होता है, क्योंकि प्रत्येक नियम का विपरीत नियम होता है। यदि पृथ्वी तुम्हें नीचे खींचती है तो जरूर कोई चीज होगी जो तुम्हें ऊपर भी खींचती होगी; वरना तो पृथ्वी ने तुम्हें खींच लिया होता पूरी तरह ही-तुम्हें भीतर ही खीच लिया होता-तुम तिरोहित हो चुके होते। तुम जीते हो धरती के धरातल पर। इसका अर्थ है कि तुम्हें नीचे खींचने वाले नियम और तुम्हें ऊपर खींचने वाले नियम के बीच एक संतुलन है। अ तो तुम बहुत पहले विनष्ट हो चुके होते पृथ्वी द्वारा-तुम समा चुके होते पृथ्वी के गर्भ में और तिरोहित हो चुके होते। इस विपरीत नियम का नाम है 'प्रसाद।' तुमने कई बार अनुभव किया होगा कि बिना किसी कारण के किसी दिन सुबह अचानक तुम बहुत हलका अनुभव करते हो, जैसे कि तुम उड़ सकते हो। तुम चलते हो जमीन पर, लेकिन तुम्हारे पांव जमीन पर नहीं पड़ते-तुम ऐसे हलके हो जाते हो जैसे पंख। और किसी दिन तुम इतने भारी होते हो, ऐसे बोझिल, कि चल भी नहीं सकते। क्या होता है? तो तुम्हें अपनी पूरी जीवन-शैली का अध्ययन करना चाहिए। कोई चीज हलके होने में तुम्हारी मदद करती है, और कोई चीज तुम्हारे बोझिल होने में मदद करती है। वह सब जो तुम्हें बोझिल करता है अशुद्ध है, और वह सब जो तुम्हें हलका करता है शुद्ध है। शुद्धता निर्भार होती है, अशुद्धता भारी और बोझिल होती है। एक स्वस्थ व्यक्ति हलका और निर्भार अनुभव करता है; अस्वस्थ व्यक्ति बहुत ज्यादा बोझिल होता है पृथ्वी द्वारा; बहुत ज्यादा नीचे की ओर खिंचा रहता है। स्वस्थ व्यक्ति चलता नहीं, दौड़ता है। अस्वस्थ व्यक्ति यदि बैठा भी है तो वह बैठा हुआ नहीं होता, वह सो रहा होता है। योग जानता है तीन शब्दों को, तीन गुणों को. सत्व, रजस, तमस। सत्य है शुद्धता; रजस है ऊर्जा, तमस है बोझ, अंधकार। जो भोजन तुम लेते हो उससे तुम्हारा शरीर बनता है, और एक अर्थों में, तुम बनते हो। यदि तुम मांस खाते हो, तो तुम ज्यादा बोझिल होओगे। यदि तुम केवल दूध और फलों पर जीते हो, तो तुम हलके रहोगे। क्या तुमने ध्यान दिया : कई बार जब तम उपवास करते हो, तो तुम कितना निर्भार अनुभव करते हो, जैसे कि शरीर का सारा वजन खो गया हो! वजन करने वाली मशीन तो बताएगी तुम्हारा वजन, तो भी तुम उसको अनुभव नहीं करते। क्या होता है? शरीर के पास पचाने के लिए कुछ भी नहीं होता, शरीर दिन-प्रतिदिन के कार्यक्रम से मुक्त होता है। ऊर्जा बह रही होती है, ऊर्जा के पास कुछ होता नहीं करने के लिए--यह एक छुट्टी का दिन होता है शरीर के लिए। तुम शात अनुभव करते हो; तुम सुंदर अनुभव करते हो। तो भोजन का ध्यान रखना है। भोजन कोई साधारण बात नहीं है। तुम्हें सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि जो तुमने अब तक खाया है उसी से तुम्हारा शरीर बना है। प्रतिदिन तुम इसे भोजन द्वारा निर्मित कर रहे हो। कम या ज्यादा भोजन लेने से या सम्यक भोजन लेने से भी बहुत अंतर पड़ता है। तुम अति भोजन करने वाले हो सकते हो-तुम बहुत ज्यादा खा सकते हो जिसकी कि कोई जरूरत नहीं है-तब तुम बहुत सुस्त, बहुत बोझिल हो जाओगे। तुम एकदम ठीक मात्रा ले सकते हो,