________________ व्यक्ति मिला और उसने कहा, 'ऐसा सुंदर सूट! मैं शर्त लगा सकता हूं कि इसे जरूर जुम्बाक दर्जी ने सिया होगा।' पहले आदमी को बहुत आश्चर्य हुआ उसने कहा, 'तुम्हें कैसे पता चला?' उस आदमी ने कहा, 'मुझे कैसे पता चला? केवल उस जैसा दर्जी ही तुम जैसे अपंग के लिए ऐसा सुंदर कोट सिल सकता है!' यही सभी धर्मों द्वारा सारी मनुष्य-जाति के साथ किया गया है। उन्होंने सुंदर नियम बनाए हैं तुम्हारे लिए। वे कहते हैं कि यदि तुम्हें थोड़ा कुबड़ा होना पड़े तो क्या हर्ज है? बिलकुल ठीक। तुम बड़े सुंदर लगते हो। तुम्हें चलना है नियम के अनुसार और उसे पूरा करना है। तुम नहीं हो साध्य; नियम है साध्य। यदि तुम अपंग हो जाते हो तो ठीक, यदि तम कबड़े हो जाते हो तो ठीक, यदि तम बीमार हो जाते हो तो ठीक-लेकिन नियम तो पूरा करना ही होगा! पतंजलि तुम्हें उस तरह के नियम नहीं दे रहे हैं, नहीं। वे बेहतर समझते हैं। वे सारी स्थिति को समझते हैं। नियम हैं तुम्हें सहायता देने के लिए। वे ठीक उस ढांचे की भांति हैं जो इमारत बनाने के पहले चारों तरफ बनाया जाता है। नई इमारत के बनने में वह सहायता देता है, लेकिन जब इमारत तैयार हो जाती है तो ढांचे को हटा देना पड़ता है। वह एक निश्चित उद्देश्य के लिए था, वही मंजिल न था। ये सारे नियम एक निश्चित उददेश्य के लिए हैं, वे विकसित होने में तुम्हारी सहायता करते हैं। पहला था 'यम', आत्म- अनुशासन। तुमने ध्यान दिया होगा-पांच व्रत, अहिंसा, सत्य आदि, उनकी अपनी एक विशेषता है कि तुम उनका अभ्यास केवल समाज में रह कर ही कर सकते हो। यदि तुम जंगल में अकेले हो, तो तुम उनका अभ्यास नहीं कर सकते; तब कोई आवश्यकता नहीं रह जाती और न ही कोई अवसर होता है। तुम्हें तब सच्चा रहना होता है, जब कोई दूसरा मौजूद होता है। जब तुम अकेले हो हिमालय की चोटी पर तो सत्य का कोई प्रश्न ही नहीं है, क्योंकि तुम क्या झूठ बोलोगेकिससे बोलोगे? अवसर ही नहीं है। तो यम तुम्हारे और दूसरों के बीच एक सेतु है, और वह है पहली बात : कि तुम्हें दूसरों के साथ अपने संबंधों को व्यवस्थित कर लेना चाहिए। यदि तुम्हारे और दूसरों के बीच के संबंध सुलझे हुए नहीं हैं, तो वे निरंतर परेशानी खड़ी करते रहेंगे। दसरों के साथ के सारे हिसाब-किताब सलझा लो, यही अर्थ है पहले व्रत 'यम' का। यदि तुम लोगों के साथ संघर्ष में हो, तो तनाव होगा, चिंता पकड़ेगी; तुम्हारे स्वप्नों में भी यह बात दुख-स्वप्न बन जाएगी। यह छाया की भांति तुम्हारा पीछा करेगी। खाते हुए, सोते हुए, ध्यान करते हुए-क्रोध बना रहेगा, हिंसा मौजूद रहेगी। वह हर बात को विकृत कर देगी। वह हर चीज को नष्ट कर देगी। तुम शांति से, चैन से नहीं रह सकते।