________________ लेकिन यदि स्त्री की ऊष्मा उसे न मिले. और वह भी बड़े प्रेमपूर्ण ढंग से, क्योंकि अगर तुम किसी व्यक्ति के प्रति प्रेमपूर्ण नहीं हो तो गरमी तो संभव है, वह पहुंच सकती है तुम्हारे शरीर से दूसरे व्यक्ति तक, लेकिन वह ऊष्मा नहीं है। प्रेम दवारा गरमी ऊष्मा बन जाती है। उसका आयाम गुणात्मक रूप से अलग होता है। वह केवल गरमी नहीं है, वरना तो तुम बच्चे को पहुंचा सकते हो गरमी। अब तो बहुत से प्रयोग किए गए हैं. बच्चे को उचित तापमान के कमरे में रखा जाता है लेकिन उससे मदद नहीं मिलती। मां का शरीर प्रेम की सूक्ष्म तरंगें प्रेषित करता है : अपनेपन की, प्रेम की, इस अहसास की कि उसका होना अर्थपूर्ण है। ये बातें बच्चे के लिए पोषण का काम करती हैं। इसीलिए निरंतर व्यक्ति जीवन भर तलाश में रहेगा-अन्वेषण करेगा, खोजेगा-स्त्री के शरीर को; और स्त्री जीवन भर खोजती रहेगी पुरुष के शरीर को। विपरीत लिंग के प्रति एक आकर्षण होता है, क्योंकि शरीरों की ध्रुवताएं मदद देती हैं; वे ऊर्जा देती हैं। यह विपरीत ध्रुवता ही एक तनाव और एक ऊर्जा देती है। तुम बढ़ते हो उसके द्वारा; तुम शक्तिशाली बनते हो उसके द्वारा। यह स्वाभाविक है, इसमें कुछ गलत नहीं है। लेकिन जब कोई शुद्ध हो जाता है-अहिंसा, अपरिग्रह, सत्य के द्वारा जब कोई शुद्ध हो जाता है तो जितना कोई व्यक्ति शुद्ध हो जाता है, उतना ही चेतना का फोकस शरीर से आत्मा की ओर मुड़ जाता है। आत्मा नितांत अकेली हो सकती है। इसीलिए जो व्यक्ति बहुत ज्यादा जुड़ा होता है शरीर से, वह कभी मुक्त नहीं हो सकता। वह जुड़ाव ही उसे बहुत तरह के बंधनों में, कारागृहों में ले जाएगा। तुम किसी स्त्री को प्रेम करते हो, तुम किसी पुरुष को प्रेम करते हो, लेकिन गहरे में तुम प्रतिरोध भी करते हो क्योंकि प्रेमी भी एक बंधन होता है। प्रेम -संबंध तुम्हें पंगु कर देता है। वह तुम्हें तृप्त भी करता है, पंगु भी करता है। तुम उसके बिना नहीं रह सकते, और तुम उसके साथ भी नहीं रह सकते। यही सारे प्रेमियों की समस्या है। वे अलग भी नहीं रह सकते और साथ भी नहीं रह सकते। जब वे अलग होते हैं, तो एक-दूसरे के बारे में सोचते हैं, जब वे साथ होते हैं, तो लड़ते हैं एक - दूसरे से। ऐसा क्यों होता है? सीधी-साफ बात है। जब तुम उस स्त्री के साथ नहीं होते जिसे तुम प्रेम करते हो और जो तारे: प्रेम करती है, तो तुम उस ऊष्मा की भूख अनुभव करने लगते हो जो प्रवाहित होती है स्त्री के शरीर से। और जब तुम अपनी प्रेमिका के साथ होते हो तो तुम भूखे नहीं रहते, तुम खूब तृप्त होते हो। और जल्दी ही तुम्हारा मन भर जाता है। जल्दी ही तुम ऊब जाते हो। अब तुम अलग होना चाहते हो, दूर होना चाहते हो और अकेले होना चाहते हो।