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'अब मैं बुद्धत्व की भी आकांक्षा नहीं करता हूं।'
तुम आकांक्षा कर रहे हो, अन्यथा क्या जरूरत है मेरे पैरों से चिपके रहने की? मेरे पैरों का क्या मूल्य है? क्यों चिपके रहना चाहते हो उनसे? वे क्या दे देंगे तुमको? कहीं गहरे में कामना है, आकांक्षा है। शायद अब ज्यादा सूक्ष्म हो, ज्यादा परोक्ष हो, उतनी स्थूल न हो, लेकिन वह मौजूद है अभी भी।
'अगर आप मुझे अपने चरणों में बांधे रख सकें..।'
लेकिन क्यों? मेरे पैरों ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है? क्या बुरा किया है? क्यों तुम मेरे पैरों के पीछे पड़े हो? जरूरत क्या है? सार क्या है?
अभी दो दिन पहले एक बड़ी मूढ स्त्री मुझ से मिलने आई। मूड इसलिए क्योंकि वह कहने लगी, 'मैं परमात्मा की तलाश में हूं।' मैंने उससे पूछा कि वह क्यों तलाश कर रही है परमात्मा की, क्या बिगाड़ा है परमात्मा ने उसका! मैंने उससे पूछा, 'तुम जरूर किसी और चीज की तलाश कर रही हो-सुख, प्रसन्नता, आनंद...?'
उसने कहा, 'नहीं, मुझे कोई रुचि नहीं सुख में, प्रसन्नता में। मैं परमात्मा को खोज रही हैं।'
लेकिन किसलिए? वह इतनी क्रोधित हो गई, क्योंकि मैंने पूछा कि किसलिए। वह तुरंत चली गई। क्यों कोई खोजेगा परमात्मा को? सार क्या है? एकदम मूढता की बात मालूम पड़ती है। परमात्मा को कोई खोजता है आनंदित होने के लिए। आत्म-ज्ञान को कोई खोजता है सुखी होने के लिए दुखी होने के लिए नहीं। सत्य को कोई खोजता है शाश्वत आनंद पाने के लिए।
वस्तुत: हर कोई सुख की तलाश में है, और इसके अतिरिक्त कछ और हो नहीं सकता और कोई संभावना नहीं है। और जो लोग कहते हैं कि वे सुख की तलाश में नहीं हैं, वे मूढ़ होते हैं किसी न
ग से। वे नहीं जानते कि वे क्या कह रहे हैं। तुम्हारा सुख इस संसार का हो सकता है, तुम्हारा सुख इस संसार से परे पारलौकिक संसार का हो सकता है-उससे कुछ फर्क नहीं पड़ता–लेकिन हर कोई सुख चाहता है। हर कोई तलाश कर रहा है सुख की, और हर कोई गहरे में स्वार्थी है। इससे अन्यथा संभव नहीं है। मैं निंदा नहीं कर रहा हूं किसी की-ध्यान में ले लेना इस बात को। ऐसा ही है जैसा होना चाहिए।
लोग आते हैं मेरे पास और वे कहते हैं कि वे लोगों की सेवा करना चाहते हैं। किसलिए? अगर कोई डूब रहा हो नदी में और तुम कूद पड़ो नदी में और अपना जीवन दाव पर लगा दो और उस व्यक्ति की मदद करो बाहर आने में, तो क्या तुम समझते हो तुमने उस व्यक्ति की मदद की? यदि तुम सोचते हो कि तुमने उस व्यक्ति की मदद की है और तुमने उस व्यक्ति की सेवा की है और तुमने अपना जीवन दाव पर लगाया है और तुम महान परोपकारी हो, तो तुम गहरे नहीं देख रहे हो। उस