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संसार भर में जो लोग मादक द्रव्य ले रहे हैं उन्हें भीतरी आनंद की ही तलाश है। वे एक संवेदनशील हृदय निर्मित करने की बड़ी कोशिश करते हैं और उन्हें ठीक उपाय, ठीक मार्ग नहीं मिलता। इतनी आसानी से नहीं मिलता है ठीक मार्ग, और मादक द्रव्य आसानी से मिल जाते हैं। और मादक द्रव्य दे देते हैं झूठी झलकियां. वे तुम्हारे मन में एक रासायनिक स्थिति निर्मित कर देते हैं जिसमें तुम ज्यादा तीव्रता से, ज्यादा संवेदनशील ढंग से अनुभव करना शुरू कर देते हो। वे तम्हें वास्तविक ध्यान नहीं दे सकते हैं, लेकिन फिर भी वे तुम्हें उसकी एक झूठी छाया दे सकते हैं।
लेकिन मेरी समझ है कि जो खोज रहा है, वह झूठी घटना का शिकार हो सकता है, लेकिन वह खोज तो रहा ही है। किसी भी दिन वह इससे बाहर आ जाएगा, क्योंकि यह बात उसे असली अनुभव तो दे नहीं सकती और यह सदा उसको धोखा नहीं दे सकती। किसी न किसी दिन वह जान लेगा कि वह स्वयं को धोखा देता रहा है रासायनिक पदार्थों दवारा। लेकिन उसके भीतर खोज है। वे लोग जिन्होंने कभी शराब नहीं पी, वे लोग जिन्होंने कभी कोई नशा नहीं किया, वे लोग जो बिलकुल बुरे नहीं हैंअच्छे लोग, सम्मानित लोग-वे ध्यान की खोज में बिलकुल नहीं हैं।
तो कैसे हो निर्णय? कैसे उस व्यक्ति को 'बुरा' कहो जो खोजी है? और कैसे उस व्यक्ति को 'अच्छा' कहो जो बिलकुल नहीं है खोज की राह पर? शराबी तो शायद किसी दिन पहुंच भी जाए परमात्मा तक, क्योंकि वह उसे खोज रहा है। और असल में जब तक वह परमात्मा को न उपलब्ध हो जाए, उसकी शराब नहीं छूट सकती क्योंकि केवल वही तृप्ति दे सकता है। तब झूठ छूट जाएगा। लेकिन सम्मानित व्यक्ति-जो हर रविवार को चर्च जाता है, शराब नहीं पीता, सिगरेट नहीं पीता, बाइबिल पढ़ता है, कुरान पढ़ता है, गीता पढ़ता है-यह आदमी तो खोज ही नहीं रहा है। तो कौन बुरा है? कैसे तय करोगे?
अब संसार भर में मादक द्रव्यों को लेकर नई पीढ़ी के बारे में बहुत चिंता है। युवा पीढ़ी पूरी तरह मादक द्रव्यों में उत्सुक है। क्या हो रहा है 2: कैसे निर्णय करें? क्या कहें इस बारे में? यदि तुम सजग हो तो निर्णय देना इतना आसान न होगा। यदि तुम सजग नहीं हो, तो तुम तुरंत निर्णय दे सकते हो कि वे गलत हैं या वे गलत नहीं हैं। फिर ऐसे लोग हैं जो मादक द्रव्यों के पक्ष में हैं, टिमोथी लिअरी और कई दूसरे लोग, जो कहते हैं,
नभव है।' और फिर ऐसे लोग हैं-संसार की तमाम व्यवस्थाएं-जो विरुद्ध हैं; वे कहते हैं, 'यह बहुत विनाशकारी बात है।'
लेकिन सचाई क्या है? जो लोग मादक द्रव्य ले रहे हैं वे वियतनाम नहीं बना रहे, कश्मीर नहीं बना रहे, मिडिल-ईस्ट नहीं बना रहे। जो लोग मादक द्रव्य ले रहे हैं वे कहीं भी कोई युद्ध खड़ा नहीं कर रहे। उन्होंने किसी मुजीबुर्रहमान का कत्ल नहीं किया है; वे किसी की हत्या नहीं कर रहे हैं। अगर तुम सोचते भी हो कि वे हानि पहुंचा रहे हैं, विनाशकारी हैं, तो वे अपने को ही हानि पहुंचा रहे हैं, किसी
और को नहीं। वे किसी के जीवन में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। और ये सम्मानित लोग, ये जिम्मेवार हैं संसार भर में हो रही अत्यधिक हिंसा के लिए। ये सम्मानित लोग हैं। अब जिन्होंने मजीर्रहमान