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को और उसके सारे परिवार को मार डाला - अब वे राष्ट्रपति हो गए हैं और न जाने क्या-क्या हो गए हैं, और वे सम्मानित व्यक्ति हैं।
तो वास्तविक अपराधी कौन है? रिचर्ड निक्सन ने कोई मादक द्रव्य नहीं लिए। क्या तुम्हें पता है, एडोल्फ हिटलर ने कभी शराब नहीं पी, कभी सिगरेट नहीं पी, पक्का शाकाहारी था। क्या तुम उससे बड़ा अपराधी खोज सकते हो? वह पक्का जैन था - शाकाहारी, धूम्रपान न करने वाला, शराब न पीने वाला, और वह बड़ा अनुशासित जीवन जीता था, घड़ी के हिसाब से चलता था और उसने नरक बना दिया धरती को! कई बार मैं सोचता हूं कि अगर उसने थोड़ी शराब पी ली होती तो क्या बेहतर न होता? शायद तब वह इतना हिंसात्मक न होता। अगर वह थोड़ा धूम्रपान कर लेता मूढ़तापूर्ण है, पर निर्दोष खेल है धूम्रपान - तो वह इतना कठोर न होता, क्योंकि धूम्रपान एक प्रकार का रेचन है।
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इसीलिए जब भी तुम क्रोधित अनुभव करते हो, तो तुम धूम्रपान करना चाहते हो; जब भी तुम चिड़चिड़ाहट अनुभव करते हो, तो तुम धूम्रपान करना चाहते हो जब भी तुम अशांत होते हो, व्याकुल होते हो, तो तुम धूम्रपान करना चाहते हो। वह मदद करता है। लेकिन करने के लिए बेहतर चीजें हैं. तुम किसी मंत्र का प्रयोग कर सकते हो। धूम्रपान भी एक प्रकार का मंत्र है। इसकी जगह तुम कह सकते हो, 'राम राम राम राम.. धूम्रपान एक प्रकार का मंत्र है तुम धुआं भीतर खींचते हो, तुम धुआं बाहर छोड़ते हो; तुम धुआं भीतर लेते हो, तुम धुआं बाहर फेंकते हो.. एक पुनरुक्ति! धूम्रपान द्वारा एक प्रकार का जप करते हो। तुम कह सकते हो, 'राम, राम, राम' - वह बात भी मदद देगी। अब जब क्रोध आए तो जरा प्रयोग करना, दोहराना 'राम राम राम ।' वह धूम्रपान से बेहतर है। लेकिन बात वही है, कुछ ज्यादा अंतर नहीं है।
अगर एडोल्फ हिटलर किसी की पत्नी के प्रेम में पड़ गया होता, तो उसकी निंदा की जाती कि बुरा आदमी है, लेकिन वह इतना हिंसात्मक न होता । तब वह थोड़ा शिथिल, थोड़ा शांत होता तो संसार बेहतर होता।
तो क्या कहा जाए? कैसे हो निर्णय? चीजें जटिल हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि शराबी हो जाओ, और मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मादक द्रव्य लेने लगो। मैं यह कह रहा हूं कि जीवन की जटिलता ऐसी है कि किसी को निर्णय नहीं लेना चाहिए।
निर्णय आते हैं क्षुद्र मनों से; वे सदा तैयार रहते हैं निर्णय करने के लिए। तुम्हारे निर्णय ऐसे हैं जैसे कि तुम्हें एक छोटा सा टुकड़ा मिल जाए कागज का किसी बड़े उपन्यास के पन्ने का और तम पढ़ लो कुछ पंक्तियां - वे भी पूरी न हों - बस थोड़ी सी पंक्तियां, पन्ने का एक हिस्सा ही : और का दे दो निर्णय। इसी तरह तो तुम कर रहे हो। किसी व्यक्ति के जीवन का एक हिस्सा ही आता है तुम्हारी निगाहों के सामने और तुम निर्णय कर लेते हो पूरे व्यक्ति के संबंध में- कि वह बुरा है, कि वह अच्छा है। नहीं, बुद्धिमान व्यक्ति निर्णय नहीं लेते।