________________ और जब मैं तुम से यहां रहने को कहूं तो बहुत गर्व अनुभव मत करना-वह भी एक जरूरत है। दोनों बातें जरूरी हैं। और कोई जड़ सिद्धात मत बना लेना, क्योंकि चीजें जटिल हैं और हर व्यक्ति अनूठा है। कई बार मैं किसी को यहां रहने देता हूं क्योंकि वह इतना मुर्दा होता है कि उसके विकसित होने में बहुत समय लगता है। कोई बहुत जल्दी विकसित हो जाता है, तो कुछ सप्ताह के भीतर ही मैं कह देता है कि जाओ। तो यहां होने से ही गर्व अनुभव मत करना; और अगर मैं तुम्हें दूर भेज दूं तो चोट अनुभव मत करना। कई बार मैं किसी को यहां रहने देता हूं क्योंकि वह बहुत संतुलित होता है और कोई डर नहीं होता कि वह जरूरत से ज्यादा ग्रहण कर लेगा, या कि अति भोजन का शिकार हो जाएगा; तो मैं रहने देता हूं उसे। कई बार, जब मुझे लगता है कि किसी ने कुछ उपलब्ध कर लिया है, तो भी मैं उसे दूर भेज देता हूं; क्योंकि केवल संसार हो इसकी कसौटी हो सकता है कि तुमने सच में कुछ पा लिया है या नहीं। आश्रम के एकांत में, एक अलग वातावरण में, तुम्हें पार की एक झलक मिल सकती है, क्योंकि तुम एक हिस्सा बन जाते हो उस सामूहिक मन का जो यहां मौजूद है। तुम मेरी तरंगों पर यात्रा करने लगते हो, वे तुम्हारी नहीं हैं। लेकिन जब तुम वापस घर जाते हो, तो तुम्हें अपनी ही तरंगों पर यात्रा करनी होती है-चाहे वे छोटी हों, किंतु बेहतर हैं, क्योंकि वे तुम्हारी अपनी हैं, और अंततः उन्हें ही ले जाना है तुम्हें दूसरे किनारे तक। मैं तो केवल राह दिखा सकता हूं। गुरु को बंधन नहीं बन जाना चाहिए; और बहुत आसान होता है गुरु का बंधन बन जाना। प्रेम सदा बदल सकता है बंधन में। वह सदा ही बन सकता है कारागृह। प्रेम को होना चाहिए स्वतंत्रता, उसे तुम्हारी मदद करनी चाहिए तमाम बेड़ियों और बंधनों से मुक्त होने में। इसलिए मुझे सतत देखते रहना पड़ता है कि किसे दूर भेजना है, किसे यहां रहने देना है, और कितनी देर रहने देना है। एक लय चाहिए-कभी मेरे साथ रहो और कभी मुझसे दूर चले जाओ। एक दिन आएगा, तुम एक जैसा ही अनुभव करोगे। तब मैं प्रसन्न होऊंगा तुम्हारी स्थिति से। चाहे मेरे साथ रहो चाहे मुझसे दूर रहो, तुम वैसे ही रहते हो; चाहे यहां आश्रम में ध्यान करो या बाजार में काम करो, तुम वैसे ही रहते हो-कोई बात तुम्हें छूती नहीं; तुम होते हो संसार में लेकिन संसार नहीं होता तुम में. तब तुम मुझे प्रसन्न करते हो। तब तुम संतुष्ट होते हो, तृप्त होते हो। दूसरा प्रश्न : आप विवाह के पक्ष में नहीं हैं और फिर भी आप लोगों से विवाह करने के लिए कह देते हैं ऐसा क्यों