________________ पछा है अनुराग ने। मेरे देखे, विवाह एक मुर्दा चीज है। यह एक संस्था है, और तुम संस्थाओं में जी नहीं सकते; केवल विक्षिप्त व्यक्ति रहते हैं संस्थाओं में। विवाह प्रेम का विकल्प है। प्रेम खतरनाक बात है : प्रेम में जीना निरंतर तूफानों में जीना है। तुम्हें जरूरत होती है साहस की, और तुम्हें जरूरत होती है सजगता की, और तुम्हें तैयार रहना होता है किसी भी चीज के लिए। प्रेम में कोई सुरक्षा नहीं होती; प्रेम असुरक्षित होता है। विवाह है सुरक्षा : रजिस्ट्री आफिस है, पुलिस है, अदालत है। राज्य, समाज, धर्म-ये सभी उसे सम्हाले हैं। विवाह एक सामाजिक घटना है। प्रेम होता है व्यक्तिगत, वैयक्तिक, अंतरंग। क्योंकि प्रेम खतरनाक होता है, असुरक्षित होता है.. और कोई नहीं जानता कि प्रेम कहां ले जाएगा। वह बादल की भांति होता है-बिना किसी मंजिल के, बस हवाओं में तिरता हुआ। प्रेम है रहस्यमय बादल, जिसका कोई गंतव्य नहीं। कोई नहीं जानता कि वह किस क्षण कहां होगा। जिसकी कोई भविष्यवाणी नहीं हो सकती-कोई ज्योतिषी भविष्यवाणी नहीं कर सकता प्रेम के बारे में। और विवाह के बारे में? उसमें तो ज्योतिषी बहुत मददगार होते हैं; वे भविष्यवाणी कर सकते हैं। मनुष्य को विवाह की ईजाद करनी पड़ी क्योंकि मनुष्य अज्ञात से भयभीत है। जीवन और उस्तित्व के हर तल पर मनुष्य ने विकल्प निर्मित कर लिए हैं. प्रेम के स्थान पर विवाह है; असली धर्म की जगह संप्रदाय हैं-वे विवाह जैसे ही हैं। हिंदू धर्म, मुसलमान धर्म, ईसाई धर्म, जैन धर्म - वे असली धर्म नहीं हैं। असली धर्म का कोई नाम नहीं होता; वह प्रेम की भांति होता है। लेकिन क्योंकि प्रेम खतरनाक होता है और तुम अज्ञात से इतने भयभीत होते हो कि तुम कोई न कोई सुरक्षा खड़ी कर लेना चाहते हो। तुम जीवन की अपेक्षा बीमा कंपनियों में ज्यादा विश्वास करते हो। इसीलिए तुमने विवाह की ईजाद कर ली है। प्रेम की अपेक्षा विवाह ज्यादा स्थायी होता है। प्रेम अनंत-असीम हो सकता है, लेकिन वह स्थायी नहीं होता है। वह बना रह सकता है हमेशा-हमेशा, लेकिन जरूरी नहीं है कि वह हमेशा बना रहे। वह एक फूल की भांति है : सुबह खिलता है, सांझ खो जाता है। वह चट्टान की भांति नहीं है। विवाह ज्यादा स्थायी होता है; तुम निर्भर कर सकते हो उस पर। बुढ़ापे में वह मददगार होगा। यह एक ढंग है कठिनाइयों से बचने का। लेकिन जब भी तुम कठिनाइयों से और चुनौतियों से बचते हो तो तुम विकसित होने से भी बच जाते हो। विवाहित व्यक्ति कभी विकसित नहीं होते। प्रेमी विकसित होते हैं, क्योंकि उन्हें हर क्षण चुनौती का सामना करना होता है और कोई सुरक्षा नहीं होती। उन्हें एक आंतरिक सजगता निर्मित करनी पड़ती है। सुरक्षा हो तो तुम्हें सजगता की चिंता नहीं करनी पड़ती; समाज मदद करता है।