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उससे प्रश्न पूछना भी कोई आसान न था जैसा कि तुम्हारे लिए आसान है मुझ से पूछ लेना। वह एक प्रश्न के सौ डालर मांगता था, मतलब एक प्रश्न के हजार रुपए और क्या पता, वह 'ही' कहे कि 'न' - अब यदि तुम्हें फिर कोई प्रश्न पूछना है तो फिर हजार रुपए दो । जब उसने अपनी पहली किताब आल एंड एवरीथिंग लिखी तो वह उसे प्रकाशित न करता था। शिष्य उसके पीछे पड़े थे 'प्रकाशित कराएं इसको यह एक महान पुस्तक है।' वह कहता, 'जरा ठहरो' वह लोगों से पाडुलिपि देखने के भी एक हजार डालर ले लेता - केवल पांडुलिपि देखने के।
क्या कर रहा था वह? और उसे बिलकुल रुचि न थी पैसे में: एक हाथ से वह लेता और दूसरे हाथ से वह दे देता। वह गरीब आदमी की भांति मरा, और उसने लाखों डालर इकट्ठे कर लिए होते यदि उसे पैसे में रुचि होती, लेकिन उसके पास कुछ भी नहीं था जब वह मरा तो एक डालर भी उसके पास नहीं मिला। कहां गया सारा पैसा? वह किसी से लेता और किसी को दे देता- वह मात्र एक मार्ग था पैसे के प्रवाहित होने के लिए।
जैसे ही वह लोगों से पैसे मांगता, लोग उसे छोड़ कर चले जाते और वह मेरे जैसा नहीं था, वह तो सब मांगता—'जो कुछ भी है तुम्हारे पास, सब दे दो। समर्पित हो जाओ।' लेकिन जिन्होंने समर्पण किया, वे आनंदित हुए; वे पूर्णरूपेण रूपांतरित हुए। वह शुरुआत हो जाती थी। वह एक जगह थी जहां से हर चीज बदल जाती थी उस व्यक्ति के लिए, जो बहुत ज्यादा जुड़ा होता पैसे से, यह एक बहुत बड़ी बात थी सब कुछ दे देना ।
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ऐसा एक बार : एक स्त्री, एक बड़ी संगीतकार आई उसके पास और उसने उसके सारे गहने मांग लिए। वह सच में गहरी आस्था रखती थी उसमें उसने तुरंत वे सब गहने दे दिए। शाम को उसके सब गहने लौटा दिए गए। लेकिन केवल उसके ही गहने नहीं थे, गुरजिएफ ने कुछ और भी गहने रखवा दिए थे थैले में उसके अपने गहनों से कहीं ज्यादा मूल्यवान वह कुछ समझ न सकी कि हुआ क्या !
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फिर पंद्रह दिन बाद ही एक दूसरी स्त्री आई, एक बड़ी धनवान स्त्री और गुरजिएफ ने उससे भी सब मांगा - सभी गहने और सब पैसा और हर चीज रख दो थैले में सब और दे दो उसको; केवल तभी वह
काम शुरू करेगा। वह स्त्री डर गई। उसने कहा, 'मैं सोचूंगी और मैं कल उत्तर दूंगी।"
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फिर उसने उस संगीतकार स्त्री के बारे में सुना । वह गई उसके पास और पूछा, 'क्या हुआ था ?' उसने पूरी बात बताई। तब तो वह खुश हो गई। तब तो यह अच्छा है, एक अच्छा सौदा है थोड़े से गहने देने होते हैं और करीब-करीब दुगुने वापस मिल जाते हैं।' तुरंत रात को ही वह अगले दिन तक भी नहीं रुकी - तुरंत उसने सारे गहने रख दिए थैले में, दे दिए गुरजिएफ को। वे गहने कभी वापस न मिले। स्त्री ने प्रतीक्षा की और प्रतीक्षा की, लेकिन वे कभी उसे वापस न मिले।
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ऊपर-ऊपर से तुम नहीं समझ सकते कि क्या हो रहा है। जिस स्त्री ने समर्पण किया था, उसे पैसे से मोह न था; तो उससे लेने में कुछ सार न था। गुरजिएफ ने उसे और गहने रख कर लौटा दिए। दूसरी