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थोड़ा ध्यान देना कि तुम अपनी पत्नी के साथ या अपने मित्र के साथ या अपने बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करते हो! बदलो उसे। हजारों बातें बदलनी होंगी तुम्हारे संबंधों में। यह है यम-संयम। लेकिन ध्यान रहे, यम संयम है-दमन नहीं। समझ से संयम आता है। अज्ञान में व्यक्ति जबरदस्ती करता है
और दमन करता है। जो भी करो समझ से करो, तो तुम कभी भी स्वयं की या किसी दूसरे की हानि नहीं करोगे।
यम है तुम्हारे आस-पास एक अनुकूल वातावरण का निर्माण करना| यदि तुम हर किसी के प्रति दुश्मनी रखते हो, लड़ते हो, घृणा करते हो, क्रोधित होते हो-तो कैसे तुम भीतर मुड़ सकोगे? ये बातें तुम्हें भीतर न जाने देंगी। तुम इतने ज्यादा अस्तव्यस्त हो जाओगे परिधि पर कि अंतर्यात्रा संभव ही न होगी। तुम्हारे आस-पास एक अनुकूल, एक मैत्रीपूर्ण वातावरण का निर्माण करना यम है।
जब तुम दूसरों के साथ सौहार्दपूर्ण ढंग से, होशपूर्वक संबंधित होते हो, तो वे तुम्हारे लिए कोई अड़चन नहीं खड़ी करते तुम्हारी अंतर्यात्रा में। वे सहयोगी बन जाते हैं; वे तुम्हारे लिए रुकावट नहीं बनते। यदि तुम अपने बच्चे से प्यार करते हो, तो जब तुष ध्यान कर रहे हो तो वह तुम्हारे ध्यान में बाधा नहीं डालेगा। बल्कि वह दूसरों से भी कहेगा, 'शांत रहें, पिताजी ध्यान कर रहे हैं। लेकिन यदि तुम अपने बच्चे को प्रेम नहीं करते, तुम क्रोधित ही रहते हो, तो जब तुम ध्यान कर रहे हो तो वह हर तरह की अड़चन खड़ी करेगा। वह बदला लेना चाहता है-अचेतन रूप से। यदि तुम अपनी पत्नी को गहन रूप से प्रेम करते हो, तो वह सहायक होगी; अन्यथा वह तुम्हें प्रार्थना न करने देगी, वह तुम्हें ध्यान न करने देगी क्योंकि तुम उसकी पकड़ के बाहर हो रहे हो।
यही मैं रोध देखता हूं. पति संन्यास ले लेता है तो पत्नी चली आती है रोती हुई–'आपने हमारे परिवार के साथ यह क्या किया? आपने हमें बर्बाद कर दिया।' मैं जानता हैं कि पति ने प्रेम नहीं
नहीं किया पत्नी को; वरना तो वह प्रसन्न होती। वह उत्सव मनाती कि उसका पति ध्यानी हो गया है। लेकिन उसने प्रेम किया नहीं उसे। अब न केवल यह कि उसने प्रेम नहीं किया, वह बढ़ रहा है भीतर की ओर। इसलिए भविष्य में भी कोई संभावना नहीं है उससे प्रेम पाने की।
यदि तुम प्रेम करते हो किसी व्यक्ति को, तो वह व्यक्ति सदा सहायक होता है तुम्हारे विकास में, क्योंकि वह जानता है-या स्त्री हो तो वह जानती है कि जितने ज्यादा तुम विकसित होते हो, उतने ज्यादा तुम सक्षम हो जाते हो प्रेम में। वह जानती है प्रेम का स्वाद। और सारे ध्यान तुम्हें मदद देंगे ज्यादा प्रेममय होने में हर तरह से ज्यादा सौंदर्यपर्ण होने में।
लेकिन यही रोज होता है। यही हुआ शीला की बहन के साथ। वह एक शिविर में थी और वह संन्यास लेना चाहती थी, लेकिन पति की इच्छा न थी। पति बहुत सुशिक्षित हैं। अमरीका में कहीं किसी रिसर्च इंस्टीटधूट के डायरेक्टर हैं। फिर वह घर चली गई। निरंतर संघर्ष बना रहा। वह संन्यास लेना चाहती थी, वह दीक्षित होना चाहती थी, लेकिन वह इजाजत न देते थे। फिर वह आए मुझे देखने कि कौन है