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नहीं है। लेकिन यदि तुम अनुभव करते हो कि तुम बहुत रुग्ण हो और तुम स्वयं पर विश्वास नहीं कर सकते और तुम सहज-स्फूर्त नहीं हो सकते, तो फिर भूल जाना झेन के बारे में; वह तुम्हारे लिए नहीं है। यह ऐसे ही है जैसे कि व्यायाम की कोई किताब है। अब व्यायाम की किताब स्वस्थ व्यक्ति के लिए है-जिसे ओलंपिक में भाग लेना हो। तुम चाहो तो उसे पढ़ सकते हो, लेकिन उसे करने मत लगना-तुम खतरे में पड़ जाओगे। तम लेटे हो अस्पताल में; तुम मत पुछना कि कैसे तालमेल बिठाएं इस किताब का और अपनी स्थिति का। तुम यह पूछना ही मत। तुम सुनना चिकित्सक की; तुम उसके अनुसार चलना। किसी दिन जब तुम स्वस्थ हो जाते हो, अपने सहज-स्वाभाविक स्वास्थ्य तक लौट आते हो, तो शायद तम उपयोग कर सको इस किताब का, लेकिन अभी इस समय तो यह तुम्हारे काम की नहीं है।
पतंजलि हैं अस्वस्थ व्यक्तियों के लिए लेकिन करीब-करीब प्रत्येक व्यक्ति अस्वस्थ है। झेन है सहज-स्वाभाविक व्यक्तियों के लिए। तुम्हें निर्णय लेना होगा अपने विषय में। कोई और दूसरा तुम्हारे लिए निर्णय नहीं ले सकता है। तुम्हें अपनी ऊर्जा को अनुभव करना है।
लेकिन ध्यान रहे, तुम्हें तालमेल नहीं बिठाना है-ऐसा कभी मत करना। एक को चुन लो, दूसरा पीछेपीछे चला आता है। यदि तुम अनुभव करते हो कि तुम बीमार हो, पहले से ही जटिल हो, सहज-सरल नहीं हो सकते, तो नियमित होने का प्रयास करना। नियमितता धीरे-धीरे तुम्हें स्वास्थ्य और सहजस्फूर्तता तक ले आएगी।
छठवां प्रश्न:
मैं आपके विरुद्ध प्रचार करना चाहता हूं। क्या आप मुझे आशीर्वाद देंगे?
विचार तो अच्छा है। मेरा पूरा आशीर्वाद है, क्योंकि मेरे विरुद्ध प्रचार करना भी मेरे पक्ष में प्रचार करना ही है। जाने -अनजाने, जो भी मेरे विरुद्ध कुछ कहता है, मेरे विषय में ही कुछ कहता है। और कौन जाने. अगर तुम किसी से मेरे विरुद्ध कुछ बोल रहे हो, तो शायद वह मुझ में रस लेने लगे। तो जाओ और प्रचार करो, मेरा पूरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है।
सातवां प्रश्न :