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करुणा के अमर देवता ह नायक श्री की विहार यात्रा मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के छोटे-छोटे सैकड़ों गाँव-नगरों में होती रही । विहार यात्रा के अन्तर्गत अनेक वरिष्ठ आचार्यों एवं मुनियों के ( पूज्य श्री लाल जी महाराज, पूज्य श्री नन्दलाल जी महाराज, पं० श्री दौलत ऋषि जी महाराज, पं० श्री अमी ऋषि जी महाराज, प्र० कवि श्री मगनलाल जी महाराज, धोर तपस्वी श्री केशरीमल जी महाराज के पावन दर्शन का सौभाग्य एवं तत्वचर्चा श्रवण करने का मौका मिला । हजारों श्रमणोपासक वर्ग से परिचय बढ़ा । विभिन्न गाँव, नगरों के रीतिरिवाजों से अवगत भी हुए। इससे लाभ यह हुआ कि - चरित्रनायक के ज्ञान दर्शन चारित्र में उत्तरोत्तर प्रौढ़ता, अनुभव में विशालता एवं मनोवृत्ति में उदारता - धीरता का अधिक संचार हुआ ।
विहार यात्रा के बीच कई बार आपके समक्ष कष्टप्रद परिषह भी उभरे हैं । फिर भी आप तिलमिलाये नहीं, अपितु साधना जीवन में निमग्न रहे । मानव जहाँ कष्टों की आग से डरता है, भागने की कोशिश करता है, वहाँ महामनस्वी सन्त उससे खेलते हैं । कष्टों की ज्वाला में उनके व्यक्तित्व को निखार मिलता है । एक शायर ने कहा है
रंग लाती है हीना, पत्थर पर घिस जाने के सुर्ख रू होता है, इन्सा आफतें आने के
बाद | बाद ||
आपत्ति आयी है, उससे डरेंगे तो वह आपके सिर पर सवार हो जायेगी । sरिए नहीं, डट करके मुकाबला कीजिए। उससे हाथ से हाथ मिलाइये । आसानी से आप उस पर विजय पा सकेंगे । आगमवाणी भी यही बता रही है - "एस वीरे पसंसिए, जेण विज्जइ" जो साधक उपसर्गों और परिषहों से विचलित नहीं होता है, वही वीर प्रशंसा का पात्र है। हाँ तो विपत्तियों का सामना करने में चरित्रनायक सदा ही अवसरवादी रहे हैं ।
"विहार चरिया मुणीणं पसत्या" तदनुसार अब आपने अपने आराध्य पूज्य गुरुदेव श्री खूबचन्द जी महाराज की सेवा में रहकर उत्तर भारत की ओर कदम बढ़ायें । सं० १६६७ का वर्षावास आगरा शहर में सम्पन्न किया । काफी धर्मोद्योत के साथ-साथ हजारों जीवों को अभयदान मिला । तदनन्तर दिल्ली संघ के अत्याग्रह पर दिल्ली को पावन किया । यहाँ पर भी आशातीत जप-तप की आराधना सम्पन्न कर बड़ोत, अम्बाला, पटियाला, लुधियाना, अमृतसर, रावलपिंडी, पसरूर, लाहौर, जम्मू आदि पंजाब प्रान्त के अनेक गाँव-नगरों की विहार यात्रा तय की । सर्वत्र संघ प्रभावना में चार चांद लगे । यात्रा से आपकी अनुभूतियाँ अधिक सुदृढ़ बनीं एवं ज्ञानकोष में भी अभिवृद्धि हुई ।
सरल स्वभावी श्री सादीराम जी महाराज, सरल स्वभावी पंजाबी श्री जवाहर लाल जी महाराज, आचार्य श्री सोहनलाल जी महाराज, पं० श्री आत्माराम जी महाराज, पूज्य श्री मन्नालाल जी महाराज, गणीप्रवर श्री उदयसागर जी महाराज,
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