________________
महावीर की साधना का रहस्य
चौथा चित्र और है । एक राजा के चार रानियां थीं। राजा प्रयोजनवश विदेश गया। काफी दिनों तक रहा । पुराना जमाना था। वायुयान का युग नहीं था कि आज गया और कल वापस आ गया। जाने में लम्बा समय लगता था और आने में भी लम्बा समय लगता था । और जब आने-जाने में लंबा समय लगता है तो कोई भी आदमी जाकर जल्दी लौटता भी नहीं है । रुकने की भी इच्छा होती है । राजा कुछ दिन लम्बा रह गया । रानियों ने सोचा कि काफी विलम्ब हो रहा है, प्रतीक्षा थी ही और जब पता चला कि राजा आने वाला है तो रानियों ने पत्र प्रेषित किया। चारों ने चार पत्र राजा को लिखे। __राजा कुछ दिन बाद घर लौट आया । राजा परिषद् में बैठा। चारों रानियों को भी आमंत्रित किया । राजा ने अपनी यात्रा का वर्णन सुनाया। वह अपने साथ कुछ आभूषण भी लाया था। एक रानी के लिए नुपूर लाया था, एक रानी के लिए लाया था हार और एक के लिए लाया था बाजूबन्द । तीन रानियों को तीन आभूषण और शेष सब छोटी रानी को दे दिया। आप कहेंगे कि यह पक्षपात की बात है । यह बहुत बड़ा पक्षपात है ! जब पुरुष ही पक्षपात को सहन नहीं कर सकता तो स्त्री भला कैसे सहन कर सकती है ! मनोवैज्ञानिक दृष्टि से माना जाता है कि पुरुष की अपेक्षा स्त्री में ईर्ष्या कहीं अधिक होती है । वे कैसे सहन कर सकती थीं ! तीनों रानियां उबल पड़ी। तीनों ने सभा के बीच में राजा पर आक्रोश प्रकट किया और उस पर पक्षपात का आरोप लगाया। राजा गम्भीर मुद्रा में सुनता रहा । दो क्षण बाद उसने कहा, 'मैंने कोई पक्षपात नहीं किया।' सारे पार्षद भी यह समझ रहे थे कि राजा ने पक्षपात किया है। तीनों रानियां यह समझ रही थीं कि राजा ने पक्षपात किया है। और सुननेवाले आज भी यही समझेंगे कि राजा ने पक्षपात किया। कोई भी व्यक्ति यह कैसे समझ सकता है कि जो व्यक्ति तीन रानियों को एक-एक वस्तु दे और शेष सारी सम्पत्ति एक रानी को दे दे वह पक्षपात से रहित है। आप न्याय की भाषा में सोचेंगे और बोलेंगे तो आप यह नहीं कह सकेंगे कि राजा ने पक्षपात नहीं किया है। आपका स्वर यही होगा कि राजा ने पक्षपात किया है। और राजा कहता है कि मैंने कोई पक्षपात नहीं किया। जहां सौ विरोधी बातें आ जाती हैं, जहां टक्कर और संघर्ष होता है, वहां न्याय के लिए अवकाश आ जाता है । 'न्याय होना चाहिए'-सबने कहा । राजा बहुत दृढ़ था। उसके मन में कोई कम्पन नहीं