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इन्द्रिय-संवर
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और देखा कि लामा एक लाल दरी पर बैठा है । उसके शरीर के चारों तरफ तीन फुट का नीले रंग का तैजस का एक वलय है । वह प्रणाम कर बैठ गया । इतने में एक व्यक्ति एक मृत शरीर को लाया । लाकर सामने रख दिया । लामा ने देखा और तत्काल ध्यानस्थ हो गया । कुछ मन्त्र-सा पढ़ा और दो-चार मिनट में मुर्दा जी उठा । मुर्दा खड़ा हुआ किया और फिर सो गया ।
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लामा को प्रणाम
सात वर्षों तक
अभी आए थे ।
लामा ने उस पर्यटक अंग्रेज डॉ० एलिकजेण्डर को बताया कि यह मुर्दा है । यह शव है । सात वर्षों से यह मरा हुआ है और अगले यह ऐसे ही रहने वाला है । चौदह वर्ष तक ऐसे रहेगा। तुम खाई के पास तुम्हारी अगवानी कौन कर रहा था ? किस व्यक्ति ने तुम्हें खाई पार कराया ? अंग्रेज ने कहा कि आपका एक दूत आया था और उसी ने योगबल से खाई को पार कराया था । लामा ने कहा कि दूसरा कोई नहीं था, इसी का वासना शरीर था । और मैं इसके वासना शरीर को, सूक्ष्म शरीर को दुनिया के हर कोने में काम के लिए भेजता हूं । जो भी काम होता है, यह करके लौट आता है । मैं सात वर्षों से इससे काम ले रहा हूं और सात वर्षों तक आगे भी काम लेता रहूंगा । चौदह वर्षों के बाद यह समाप्त हो जाएगा ।
हमारा सूक्ष्म शरीर, हमारा संस्कार का शरीर, हमारा वासना का शरीर इतना तीव्र होता है, इतना शक्तिशाली होता है कि वह सारी वासनाएं प्रेषित करता है और बेचारी इन्द्रियां दोष की भागी बन जाती हैं । हमारे संस्कार इतने प्रबल हो जाते हैं, इतने जम जाते हैं, जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते । आपके शरीर के कण-कण में संस्कार जमे हुए हैं । आप नियमित रूप से कोई पांच-सात दिनों तक काम कर लेते हैं, फिर वह आपका एक संस्कार बन जाता है ।
आजकल आम का मौसम है । लोग आम खाते हैं । महीने - दो महीने के बाद मौसम चला जाएगा । जब मौसम चला जाएगा आप भोजन करने के लिए बैठेंगे तो तत्काल आमरस की स्मृति हो जाएगी; क्योंकि उसका एक संस्कार है । और यह संस्कार समय आने पर अपने आप ही जागृत हो जाता है । एक वैज्ञानिक ने संस्कार-स्मृति के अनेक प्रयोग किए। उसने कुत्ते को बांध दिया । उसे ठीक नौ बजे भोजन कराता तो ठीक नौ बजते ही कुत्ते के मुंह से लार टपक पड़ती । चीज सामने आते ही लार टपक पड़ती। उसने