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मनोविज्ञान और चरित्र-विकास
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करते हैं, तब देखते हैं कि घराना कैसा है ? आचार्यश्री दीक्षा देते हैं तो देखते हैं कि घराना कैसा है ? पीछे का इतिहास क्या है ? किस प्रकार के व्यक्ति इस घराने में पैदा हुए हैं ? उन्होंने क्या आचरण किए हैं और क्या काम किए हैं ? यह देखना बहुत महत्त्व की बात है। ___ आज मेडिकल साइंस में इस विषय में बहुत अनुसंधान हो रहे हैं। बहुत सारी बीमारियां पैतृक होती हैं। अभी कुछ डॉक्टरों ने कहा था कि कैसर भी पैतृक बीमारी है। हृदय-रोग भी पैतृक बीमारी है। संक्रामक रोग तो बहुत सारे पैतृक होते ही हैं। इस प्रकार बहुत सारी बीमारियां पैतृक होती हैं । उनका मूल ढूंढा जाता है पैतृक परम्परा में। होमियोपैथिक चिकित्सा में तो इस पर बहुत ही ध्यान दिया जाता है । इसके पिता को क्या बीमारी थी और माता को क्या बीमारी थी-इसका पूरा विश्लेषण किया जाता है । मनुष्य के चरित्र पर भी इसका प्रभाव आ सकता है । चरित्र-निर्माण में बहुत बड़ा योग रहता है—माता-पिता के आचरण का। एक घटना है। एक ऋषि ने एक व्यक्ति को देखा। वह बहुत ही उद्दण्ड था। उसके आचरण को देखा और पूछा-'बताओ, तुम किसके लड़के हो ?' लड़के ने कहा- 'मैं सावलक का लड़का हूं।' ऋषि ने पूछा-'तुम्हारी माता ?' उसने कहा—'कौशला ।' ऋषि बोला—'नहीं हो सकता, ऐसा हो नहीं सकता ।' अब निर्णय कौन करे? लड़का कहता है कि मेरे माता-पिता ये हैं और ऋषि कह रहा है कि तुम्हारे माता-पिता ये नहीं हैं। बहुत बड़ा आरोप है, अभियोग है। लड़के के मन में उलझनें भर गईं। बड़ा चिन्तित-सा हो गया। उसे ऋषि पर गुस्सा भी आया । वह दौड़ता हुआ माता-पिता के पास पहुंचा । बड़ा उद्दण्ड था । जाकर बोला-'बताओ, मैं किसका लड़का हूं?' अरे ! यह क्या प्रश्न ? यह भी कोई पूछने की बात होती है। हमारे लड़के हो तुम ।' लड़का बोला-'नहीं, सही बताओ।' माता ने कहा-अरे, इसमें भी सही-गलत होता है क्या ?' उसने कहा—'ऐसे नहीं होगा।' वह बाहर गया और तलवार लेकर आया । उसने कहा—'सही-सही बताओ, नहीं तो सिर काटता हूं।' माता-पिता ने सोचा, यह तो अच्छी मुसीबत आ गई। पता नहीं यह प्रश्न किसने खड़ा कर दिया। आखिर उसने बहुत ही रुद्र रूप धारण कर लिया। तब वे बोले'तुम शिकारी के लड़के हो ।' तो फिर यहां कैसे आ गया ?' लड़के ने पूछा। पिता ने कहा-'अनाथ हो गए थे, तुम्हारी रक्षा के लिए कोई नहीं रहा, और हमें ऐसा योग मिल गया कि हमने तुम्हें पाल लिया, पोष लिया, तुम हमारे