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साधना का मूल्य : आंतरिक जागरूकता
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संभल नहीं सकता । संभलने की शक्ति भी नहीं रहती, क्योंकि बाहरी मन काम नहीं करता है ।
• मादक वस्तुओं से भी मन की शांति होती है, तब ध्यान के लिए इतना लम्बा समय क्यों लगाया जाए ?
मादक द्रव्यों के प्रयोग से ऐसी स्थिति का निर्माण होता है, वहां हमारे स्नायुओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है । और उस स्थिति के समाप्त होने तक और अधिक कठिनाइयां झेलनी पड़ती हैं । यह जो ध्यान की प्रक्रिया है, निरपवाद प्रक्रिया है । इसमें कोई कठिनाई नहीं बल्कि हमारी चेतना को और अधिक विकसित होने के लिए मौका मिलता है। शराब क्यों पीते हैं लोग ? इसलिए पीते हैं कि शराब पी विस्मृति हो गई । बड़ा आराम मिलता है । अब होता क्या है कि कुछ दिन पीने के बाद स्नायुओं को अभ्यास हो जाता है | अब शराब का समय आया और शराब नहीं मिली तो सभी स्नायु तन जाते हैं । शरीर टूटने लग जाता है । यह शराब की विवशता है, मादकता की परन्तु यह हमारी स्वाभाविक शक्ति नहीं है ।
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ध्यान-काल में सुझाव या परामर्श क्यों दिए जाते हैं ? क्या इससे स्थिरता का भंग नहीं होता ?
जो परामर्श दिए जाते हैं, वे प्रारम्भिक स्थिति में दिए जाते हैं । जब आप में ध्यान की परिपक्वता आ गयी, तब आदेश की कोई आवश्यकता नहीं है । मैं स्वयं अपने मन से ध्यान करता हूं। मुझे कोई आदेश नहीं देता और न उसकी आवश्यकता ही महसूस होती है । किन्तु जिसका मन स्वतः शांत नहीं होता, विकल्प-शून्य नहीं होता, उसमें सुझावों के द्वारा परिवर्तन जल्दी आ सकता हैं । निर्विकल्पता की स्थिति पर आप पांच वर्ष में पहुंच सकते हैं तो इसके द्वारा आप महीने में या और भी जल्दी पहुंच सकते हैं । यह एक जल्दी पहुंचाने का मार्ग है ।
बातें हैं । एक तो सुझाव दिया जाता है और एक अपने आप सुझाव देना शुरू कर देते हैं। थोड़ी देर में वही क्रिया शुरू हो जाएगी। दोनों क्रियाएं एक हैं, चाहे अपना सुझाव और चाहे दूसरे का सुझाव, कोई अन्तर नहीं है ।