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महावीर की साधना का रहस्य
मालिक को भी मालूम नहीं था । एक दिन नौकर देखने गया तो रसोई का द्वार बन्द है । खिड़की से झांककर देखा तो राम ठाकुर कहीं दिखाई नहीं दिया । इधर-उधर देखा तो मालूम हुआ कि वह तो छत पर टंगा हुआ है । अधर में लटक रहा है । उसने मालिक से बताया। मालिक ने दौड़कर देखा तो उसे आश्चर्य हुआ । किवाड़ खोलकर अन्दर गया तो राम ठाकुर भी नीचे उतर आया । मालिक उसके पैरों में पड़ गया । यह क्या ? ऐसा हो सकता है । परन्तु प्रश्न है कि हमारी शक्ति का नियोजन किस दिशा में हो ? ये बातें भी असम्भव नहीं । कषाय को कम करना भी असम्भव नहीं है, किंतु ये भिन्न-भिन्न मार्ग हैं । एक व्यक्ति अपनी सारी शक्ति को कषाय को शांत करने में लगाता है । एक व्यक्ति अपनी शक्ति का नियोजन बाह्य स्थितियों के विकास में कर देता है । एक उपलब्धियों की दिशा में कर देता है अपनीअपनी रुचि है । अपना-अपना मार्ग है । अपना-अपना दृष्टिकोण है । किन्तु . एक ही शक्ति का विभिन्न दिशाओं में उपयोग किया जा सकता है । पानी से आप खेती भी सींच सकते हैं, पानी को पी भी सकते हैं, पानी से स्नान भी कर सकते हैं । किधर ले जा सकते हैं, यह आपकी रुचि का प्रश्न है, आपके • सोचने का विषय है । यह चुनाव करने का आपका प्रश्न है कि कौन से विषय में आप गति करना चाहते हैं ?
• नींद से तनाव कम होते हैं। फिर तनाव कम करने के लिए नींद ही क्यों न ली जाए ?
जितनी प्रवृत्ति उतना तनाव । विष जमा होते हैं तनावों के कारण । नींद एक जरूरत है । कोई स्वाभाविक प्रक्रिया नहीं है । जितना ही नमक ज्यादा खाएंगे, उतनी ही प्यास ज्यादा लगेगी। नींद आएगी उसी समय जबकि मन में कोई तनाव नहीं होगा । नींद आ जाने पर पहले से संचित विष निकल जाते हैं । तनाव को शान्त करके नींद को जीत लेते हैं तो न अन्दर तनाव रहता है और न बाहर से दबाव पड़ता है । उसकी सम स्थिति बन जाती है । • क्या यह सही है कि शान्त श्वास की स्थिति में क्रोध नहीं आता ?
जिस समय हमारा ध्यान श्वास पर केन्द्रित होगा, उस समय कभी भी क्रोध नहीं आएगा । क्रोध आने से पहले श्वास को क्षुब्ध और उत्तेजित होना मड़ेगा | श्वास क्षुब्ध होने पर ही क्रोध आता है ।