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प्राण उत्पन्न होता है । हमारे मस्तिष्क को सक्रिय रहने के लिए बीस वोल्ट विद्यत् की आवश्यकता है, अन्यथा मस्तिष्क सक्रिय नहीं रह सकता । हमारे शरीर को सक्रिय रहने के लिए काफी ऊर्जा चाहिए । हमारे शरीर में ऊर्जायें हैं । ऊर्जा के केन्द्र भी हैं । अनेक केन्द्र हैं ऊर्जा के । आपने पर्याप्तियों का नाम सुना होगा । छह पर्याप्तियां हैं—आहार पर्याप्ति, शरीर पर्याप्ति, इन्द्रिय पर्याप्ति, श्वासोच्छ्वास पर्याप्ति, भाषा पर्याप्ति और मनःपर्याप्ति । ये सारे के सारे ऊर्जा केन्द्र हैं । हमारे शरीर में छह ऊर्जा केन्द्र हैं, जहां ऊर्जा उत्पन्न होती है । मूल ऊर्जा का केन्द्र है नीचे । तैजस शरीर से ऊर्जा उत्पन्न होती है । प्राण मूलतः नाभि के नीचे तेजस शरीर से उत्पन्न होता है और वही प्राण सारे शरीर में गति करता है शक्ति देता है और जीवन देता है । प्राण के दो प्रकार हो जाते हैं - एक सामान्य प्राण और एक विशेष प्राण । सामान्य प्राण हमारे समूचे शरीर में विद्यमान है, सक्रिय है। जहां प्राण नहीं, वहां जीवन नहीं । प्राण और जीवन - दोनों साथ-साथ चलते हैं । प्राण के पीछे जीवन चलता है। जहां प्राण क्षत हो जाता है, विक्षत हो जाता है, नष्ट हो जाता है, वहां वह अवयव भी नष्ट हो जाता है। जहां प्राण की धारा नहीं पहुंच पाती, वह अवयव शून्य हो जाता है । जीवित व्यक्ति का भी अवयव शून्य, निष्क्रिय और मृत हो जाता | सामान्य प्राण सर्वत्र संचरण कर रहा है ।
एक है विशेष प्राण । यह प्राण क्षेत्रीय नाम से जाना जाता है । मैं आंख से देख रहा हूं। आंख से देखने में मुझे जो प्राण सहयोग कर रहा है, उसे आप कह सकते हैं-चक्षु इन्द्रिय प्राण | उसका एक नाम विशेष हो गया । जो प्राण मुझे सुनने में सहयोग कर रहा है, उसे आप कह सकते हैं श्रोत्र इन्द्रिय प्राण । जो प्राण मुझे श्वास लेने में सहयोग कर रहा है, उसे आप कह सकते हैं श्वास प्राण । ये क्षेत्रीय नाम हो जाते हैं, विशेष नाम हो जाते हैं ।
सामान्य प्राण हमारे समूचे शरीर में एक है किन्तु क्षेत्र - विशेष प्राणों में विभाग भी हो जाते हैं । प्राण के छः प्रकार भी क्षेत्र - विशेष के आधार पर किए गए हैं । सामान्यतः उनमें
गतिशील है, स्पन्दन कर रहा है,
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है । वह एक ही प्राण है जो चल रहा है और जीवन को टिकाए हुए है जीवन को सिंचन और आधार दे रहा है वह एक ही प्राण है और उसी प्राण के कारण हम प्राणी हैं, जी रहे हैं, देख रहे हैं - और सारी क्रिया कर रहे हैं, जीवन का संचालन कर रहे हैं। क्या ऐसा कोई
स्थान है, जहां प्राण अधिक प्रकट होता है ? हमारे शरीर में कुछ ऐसे केन्द्र
प्राण
के आधार पर
कार्य - विशेष एवं
कोई अन्तर नहीं