Book Title: Kasaypahudam Part 03
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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गा• २२ ] हिदिविहत्तीए वड्ढीए सामित्त
१३६ २५१. पंचिंदियतिरिक्खअपज्ज० तिण्णि वड्डी अवहाणाणि तिण्णि हाणीओ कस्स ? अण्णदरस्स । एवं मणुसअपज्ज०-पंचिंदियअपज ०-तसअपज ०-तिण्णि अण्णाण-अभव-मिच्छादि०-असण्णि त्ति ।
२५२. आणदादि जाव उवरिमगेवज्ज असंखेजभागहाणी कस्स ? अण्णदरस्स सम्मादिहि० मिच्छादिहिस्स वा। संखे भागहाणी कस्स ? अणंताणुबंधिचउक्कं विसंजोए तस्स पढमसम्म पडिवज्जमाणस्स वा । अणुदिसादि जाव सबदृसिद्धि ति असंखे भागहाणी कस्स ? अण्णदरस्स । संखे०भागहाणी कस्स ? अणंताणुबंधिचउक्कं विसंजोए तस्स ।
$ २५३. एइंदिएसु असंखेजभागवड्डी तिण्णिहाणी अवाणाणि कस्स ? अण्णद० । एवं पंचण्डं कायाणं । विगलिंदिएमु दो वड्डी तिण्णि हाणी अवहाणाणि कस्स ? अण्णद०।
६२५४. ओरालियमिस्स० तिण्णिवडि-अवहाणाणि कस्स ? मिच्छादिहिस्स। दोहाणिो कस्स १ मिच्छादिहिस्स। असंखे भागहाणी कस्स ? सम्मादिहि० मिच्छादिहिस्स वा । एवं वेउवियमिस्स०-कम्मइय०-अणाहारि त्ति । आहार०-आहारमिस्स० असंखे०भागहाणी कस्स ? अधहिदि गालयमाणस्स । एवमकसा०-जहाक्खाद०-सासण०दिहि त्ति।
६२५१. पंचेन्द्रिय तिथंच अपर्याप्तकोंमें तीन वृद्धियां, अवस्थान और तीन हानियाँ किसके होती हैं ? किसी एक जीवके होती हैं। इसी प्रकार मनुष्य अपर्याप्तक, पंचेन्द्रिय अपर्याप्तक, त्रस अपर्याप्तक, तीनों अज्ञानी, अभव्य, मिथ्यादृष्टि और असंज्ञी जीवोंके जानना चाहिये।
२५२. आनत कल्पसे लेकर उपरिम ग्रैवेयक तकके देवोंमें असंख्यात भागहानि किसके होती है ? किसी एक सम्यग्दृष्टि या मिथ्यादृष्टिके होती है। संख्यातभागहानि किसके होती है ? अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी विसंयोजना करनेवाले जीवके या प्रथमोपशम सम्यक्त्वको प्राप्त होनेवाले जीवके होती है। अनुदिशसे लेकर सर्वार्थसिद्धितकके देवोंमें असंख्यातभागहानि किसके होती है ? किसी एकके होती है। संख्यातभागहानि किसके होती है ? अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी विसंयोजना करनेवाले जीवके होती है।
६२५३. एकेन्द्रियोंमें असंख्यातभागवृद्धि, तीन हानियां और अवस्थान किसके होते हैं ? किसी भी जीवके होते हैं। इसी प्रकार पांचों स्थावरकायिक जीवोंके जानना चाहिये । विकलेन्द्रियोंमें दो वृद्धियां, तीन हानियाँ और अवस्थान किसके होते हैं ? किसी भी जीवके होते हैं।
२५४. औदारिकमिश्रकाययोगियोंमें तीन वृद्धियाँ और अवस्थान किसके होते हैं ? मिथ्यादृष्टिके होते हैं। दो हानियाँ किसके होती हैं ? मिथ्यादृष्टिके होती हैं। असंख्यात भागहानि किसके होती है ? सम्यग्दृष्टि या मिथ्याष्टिके होती है। इसी प्रकार क्रियिकमिश्रकाययोगी, कार्मणकाययोगी और अनाहारक जीवोंके जानना चाहिये । आहारककाययोगी और आहारकमिश्रकाययोगियोंमें असंख्यात भागहानि किसके होती है ? अधःस्थिति गलनाके द्वारा निर्जरा करनेवाले जीवके होती है। इसी प्रकार अकषायी, यथाख्यातसंयत और सासादनसम्यग्दृष्टि जीवोंके जानना चाहिये।
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