Book Title: Kasaypahudam Part 03
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 517
________________ ४८ बयधवलासहिदे कसायपाहुडे [हिदिविहत्ती ३ अज०, असंखे०गुणा । पुरिस० छण्णोकसायभंगो । ८४७. आदेसेण णेरइय० मिच्छत्त० जह० विहत्ति० बारसक०-भय-दुगुंछ० किं ज० अज० १ जहण्णा अजहण्णा वा । जहण्णादो अजहण्णा सम-उत्तरादि जाव पलिदो० असंखे. भाब्भहिया । सम्मत्त० सिया अत्थि, सिया पत्थि । जदि अत्थि, किं जह० अज० १ णियमा अज० विहाणपदिदा संखेज्जगुणभहिया असंखेगुणब्भहिया वा। सम्मामि० सिया अस्थि सिया पत्थि १ जदि अत्थि, किं ज० अजजहण्णा अजहण्णा वा । जहण्णादो अजहण्णा विहाणपदिदा संखे०गुणा असंखे गुणा वा णिसेयप्पहाणतणेण, अण्णहा तिहाणपदिदा । अणंताणु० चउक्क० किं जह• अज०१ णियमा अज०, असंखे०गणा । सत्तणोक० किं जह० अज० ? णि. अज०, असंखे०भागब्भहिया। सम्मत्त० जहण्णहिदिविहत्ति० बारसक०-णवणोक० किं ज० अज० १ णि अज०, संखेगणा । सम्मामि० ज० विहत्तियस्स मिच्छत्त-बारसक०-णवणोक० किं ज. अज० ? जहण्णा अजहण्णा वा । जदि अजहण्णा तिहाणपदिदा असंखे०भागभहिया संखे०भागब्भहिया संखेगुणब्भहिया वा । अणंताणु० णियमा अजहण्णा और आठ नोकषायोंकी स्थिति नियमसे अजघन्य होती है, जो जघन्य स्थितिसे असंख्यातगुणी होती है । तथा पुरुषवेदका भंग छह नोकषायोंके समान है। E४७. श्रादेशकी अपेक्षा नारकियोंमें मिथ्यात्वकी जघन्य स्थिति विभक्तिके धारक जीवके बारह कषाय, भय और जुगुप्साकी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य १ जघन्य भी होती है और अजघन्य भी । उनमें से अजघन्य स्थिति एक समय अधिकसे लेकर पल्योपमके असंख्यातवें भाग अधिक जघन्य स्थिति तक होती है । सम्यक्त्व प्रकृति कदाचित् है और कदाचित् नहीं है। यदि है तो उसकी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? नियमसे अजघन्य होती है। जो जघन्य स्थितिसे द्विस्थान पतित होती हुई संख्यातगुणी अधिक होती है या असंख्यातगुणी अधिक होती है। सम्यग्मिथ्यात्व कदाचित् है और कदाचित् नहीं है। यदि है तो उसकी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? जघन्य भी होती है और अजघन्य भी। उनमें से अजघन्य स्थिति जघन्य स्थितिसे द्विस्थान पतित होती हुई संख्यातगुणी या असंख्यातगुणी होती है। यह स्थिति निषेकोंकी प्रधानतासे कही है। अन्यथा जघन्य स्थितिसे अजघन्य स्थिति तीन स्थान पतित होती है। अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? नियमसे अजघन्य होती है, जो जघन्य स्थितिसे असंख्यातगुणी होती है । सात नोकषायोंकी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? नियमसे अजघन्य होती है, जो जघन्य स्थितिसे असंख्यातवें भाग अधिक होती है ? सम्यक्त्वकी जवन्य स्थितिविभक्तिके धारक जीवके बारह कषाय और नौ नोकषायोंकी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? नियमसे अजघन्य होती है, जो जघन्यसे संख्यातगुणी होती है। सम्यग्मिथ्यात्वकी जघन्य स्थितिविभक्तिके धारक जीवके मिथ्यात्व, बारह कषाय, और नौ नोकषायोंकी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? जघन्य भी होती है और अजघन्य भी। यदि अजघन्य होती है तो वह जघन्यसे असंख्यातवें भाग अधिक, संख्यातवें भाग अधिक या संख्यातगुणी अधिक इस प्रकार तीन स्थान पतित होती है। तथा अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी स्थिति नियमसे अजघन्य होती है। जो जघन्यसे असंख्यातगुणी होती है। अनन्तानुबन्धी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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