Book Title: Kasaypahudam Part 03
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 545
________________ ५२६ जमधवलासहिदे कसायपाहुडे [ हिदिविहत्ती ३ दिसामु मिच्छत्तहिदि पेखिदूण सम्मत्तुक्कस्सहिदीए विसेसाहियत्तपरूवणादो। तदो एदेसिं दोण्हमाइरियाणमहिप्पाओ दुरवगमो त्ति ? ण णिसेगेहिंतो कालस्स अभेदप्पहाणा परूवणा भेदप्पणाए कालपहाणा त्ति दोसाभावादो। किमहं गुणपहाणभावेण परूवणा कीरदे ? कारणंतगवेक्खाए दुविहणयमस्सिद्विदसिस्साणुग्गहरुं वा । * मिच्छत्तस्स उक्कासहिदिविहत्ती विसेसाहिया । $ ८७६. के. मेण ? अंतोमुहुत्तेण । * णिरयगदीए सव्वत्थोवा इत्थिवेदपुरिसवेदाणमुक्कस्सहिदिविहत्ती । 5 ८७७. कुदो ? तत्थेदेसिमुदयाभावेणुदयणिसेगस्स णqसयवेदसरूवेण त्थिउक्कसंकमेण गमणादो । 8 सेसाणं णोकसायाणमुक्कस्सहिदिविहत्ती विससाहिया । $ ८७८. केत्तिएण ? एगुदयणिसेगेण । है वह कालकी प्रधानतासे ही कही है। कहीं निषेकोंको प्रधान करके स्थितिका वर्णन करते हैं, जैसे अनुदिश आदिमें मिथ्यात्वकी स्थितिको देखते हुए जो सम्यक्त्वकी उत्कृष्ट स्थिति विशेष अधिक कही है वह निषेकोंकी प्रधानतासे ही कही है इससे मालूम होता है कि इन दोनों आचार्योंका अभिप्राय दुरवगम है ? समाधान-नहीं, क्योंकि जहां निषेकोंकी अपेक्षा प्ररूपणा की है वहां निषेकोंसे कालके अभेदकी प्रधानता करके प्ररूपणा की है और जहां भेदकी विवक्षासे प्ररूपणा की है वहां कालकी प्रधानतासे प्ररूपणा की है, इसलिये कोई दोष नहीं है। शंका-इस प्रकार गौण मुख्यभावसे प्ररूपणा किसलिये की जाती है ? समाधान-भिन्न भिन्न कारणोंकी अपेक्षासे अथवा द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक नयोंका आश्रय लेनेवाले शिष्योंके अनुग्रहके लिये गौण मुख्यभावसे प्ररूपणा की जाती है। * सम्यक्त्वकी उत्कृष्ट स्थितिसे मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति विशेष अधिक है ? ६८७६. शंका-कितनी अधिक है ? समाधान-अन्तर्मुहूर्त अधिक है। * नरकगतिमें स्त्रीवेद और पुरुषवेदकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति सबसे थोड़ी है । ६८७७. शंका-नरकगतिमें स्त्रीवेद और पुरुषवेदकी उत्कृष्ट स्थिति सबसे थोड़ी क्यों है ? समाधान-क्योंकि वहां पर इन दो प्रकृतियोंका उदय नहीं होता है अतः इनका उदय• निषेक स्तवुकसक्रमणके द्वारा नपुंसकवेदरूपसे परिणत हो जाता है। __* स्त्रीवेद और पुदुषवेदकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्तिसे शेष नोकषायोंकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति विशेष अधिक है ।। S८७८.शंका-कितनी अधिक है ? समाधान-एक उदय निषेकप्रमाण अधिक है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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