Book Title: Kasaypahudam Part 03
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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[ हिदिविहत्ती ३
जयधवलास हिदे कसायपाहुडें किं ज० अज० ? णि० अज० खे० गुणा । सम्मत्त० किं ज० अज ? णि० अज० संखे० गुणा । तिष्णिक० किं ज० ज० ? णि० जहण्णा । एवं तिन्हं कसाया। अपच्चक्खाण-कोधज० एक्कारसक० - णवणोक० [ कि० जह० ज० १] णि० जहण्णा । एबमेक्कारसक० णवणोकसायाणं ।
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६८५५, इंदियाणुवादेण एईदिएसु मिच्छत्तजह० विहत्ति० सोलसक० -भय- दुर्गुळ किं० ज० अज० ? जहण्णा अजहण्णा वा । जहण्णादो अजहण्णा समयुत्तरमादिं काढूण जाव पलिदो ० असंखे० भागेणव्भहिया । सम्मत्त सम्मामि० सिया अस्थि सिया णत्थि । जदि अस्थि किं ज० अज० ? जहण्णा अजहण्णा वा । जहण्णादो अज० तिद्वाणपदिदा संखे० भागन्भहिया संखे० गुणा वा असंखे० गुणा वा । सत्तणोक० किं ज० अज० ? णि० अज० असंखे • भागन्भहिया । एवं सोलसकसाय-भय-दुगुंछाणं । णवरि भय जह० दुर्गुछ० णियमा जहण्णा । एवं दुगुंछ० । भय-दुगुंछाणं जहणहिदीए संतीए कथं सोलसकसायाणमसंखे० भागन्भहियत्तं ? ण, सोलसकसायाणं जहणहिदीदो अब्भहिर्याइदिमिथ्यात्व, सम्यग्मध्यात्व, बारह कषाय और नौ नोकषायों की स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? नियमसे अजघन्य होती है, जो अपनी जघन्य स्थिति से संख्यातगुणी होती है । सम्यक्त्वकी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? नियमसे जघन्य होती है, जो अपनी जघन्य स्थितिसे असंख्यातगुणी होती है । अनन्तानुबन्धी मान आदि तीन कषायों की स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? नियमसे जघन्य होती है । इसी प्रकार अनन्तानुबन्धी मान आदि तीन कषायों की जघन्य स्थितिविभक्तिवाले जीवके सन्निकर्ष जानना चाहिये । श्रप्रत्याख्यानावरण क्रोधकी जघन्य स्थितिविभक्तिके धारक जीवके अप्रत्याख्यानावरणमान आदि ग्यारह कषाय और नौ नोकषायों की स्थिति नियमसे जघन्य होती है । इसी प्रकार अप्रत्याख्यानावरण मान आदि ग्यारह 'कषाय और नौ नोकषायोंकी जघन्य स्थिति विभक्ति के धारक जीवके सन्निकर्ष जानना चाहिये । ८५. इन्द्रिय मार्गणा के अनुवादसे एकेन्द्रियों में मिथ्यात्वकी जघन्य स्थितिविभक्तिके धारक जीवके सोलह कषाय, भय और जुगुप्साकी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? जघन्य भी होती है और अजवन्य भी । उनमें से अजघन्य स्थिति अपनी जघन्य स्थितिकी अपेक्षा एक समय अधिक से लेकर पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक तक होती है । सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्व कदाचित् है और कदाचित् नहीं । यदि है तो उसकी स्थिति क्या जघन्य होती ह या अजघन्य ? जघन्य भी होती है और अजघन्य भी । उनमें से अजघन्य स्थिति अपनी जघन्य स्थिति से संख्यातवें भाग अधिक संख्यातगुणी अधिक या असंख्यातगुणी अधिक इस प्रकार तीन स्थानपतित होती । सात नोकषायों की स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? नियमसे
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जघन्य होती है, जो अपनी जघन्य स्थिति से असंख्यातवें भाग अधिक होती है । इसी प्रकार सोलह कषाय, भय और जुगुप्साकी जघन्य स्थितिविभक्तिके धारक जीवके सन्निकर्ष जानना चाहिये | किन्तु इतनी विशेषता है कि भयकी जवन्य स्थितिवाले जीवके जुगुप्साकी स्थिति नियमसे जघन्य होती हैं । इसी प्रकार जुगुप्साकी जवन्य स्थितिवाले जीवके भयकी स्थिति नियमसे जन्य होती है।
शंका- भय और जुगुप्साकी जघन्य स्थितिके रहते हुए सोलह कषायों की स्थिति असंख्यातवें भाग अधिक कैसे होती है ?
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