Book Title: Kasaypahudam Part 03
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 538
________________ गा• २२] हिदिविहसीए उत्तरपयडिहिदिविहत्तियसरिणयासो ५१६ पुरिस० एवं चेव । णवरि पुरिस० ज० वि० चत्तारिक० किं ज. अज० १ णि. जहण्णा । एवं चदुण्हं. संजलणाणं । छण्णोक. पुरिस-चदुसंज. णि. अज० संखे गुणा। ८६१, अवगदमिच्छत्तज० वि० सम्मत्त-सम्मामि० किं ज० अज.? णि. जहण्णा । अहकसाय० इत्थि-णस० किं ज० अज.? णि. अज० संखेगुणा । चदुसंज०-सत्तणोक किं० ज० अज० ? णि अज० असंखे०गुणा । एवं सम्म०सम्मामि० । अपच्चक्रवाणकोधज वि० मिच्छत्त-सम्मत्त-सम्माभिः पत्थि ? सत्तक०इत्थि-णवुस किं० अज० १ णि० जहण्णा । चत्तारिसंजल०-सत्तणोक० किं ज० अज० ? णि. अज० असंखे गुणा । एवं सत्तकसायाणं । इत्थि ज. वि. चत्तारिसंज-सत्तणोक० किं. ज. अज० १ णि. अज० असंखेगुणा । अहक०-णवुस० णि० जहण्णा । एवं णवुस । सत्तणोक०-चत्तारिसंजलणाणमोघं । नपुंसकवेदकी जघन्य स्थितिविभक्तिके धारक जीवके आठ नोकषाय और चार संज्वलनोंकी स्थिति नियमसे अजघन्य होती है जो अपनी जघन्य स्थितिसे असंख्यातगुणी होती है। इसी प्रकार नपुंसकवेदी जीवके जानना चाहिये । पुरुषवेदी जीवके भी इसी प्रकार जानना चाहिये । किन्तु इतनी विशेषता है कि पुरुषवेदकी जघन्य स्थितिविभक्तिके धारक जीवके चार संज्वलन कषायोंकी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? नियमसे जघन्य होती है। इसी प्रकार चार संज्वलनोंकी जघन्य स्थितिविभक्तिके धारक जीवके सन्निकर्ष जानना चाहिये। छह नोकषायोंकी जघन्य स्थिति विभक्तिके धारक जीवके पुरुषवेद और चार संज्वलनोंकी स्थिति नियमसे अजघन्य होती है जो जघन्य स्थितिसे संख्यातगुणी होती है। ६८६१. अपगतवेदियोंमें मिथ्यात्वकी जघन्य स्थितिविभक्तिके धारक जीवके सम्यक्त्व सम्यग्मिथ्यात्वकी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? नियमसे जघन्य होती है । आठ कषाय, स्त्रीवेद और नपुंसकवेदकी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? नियमसे अजवन्य होती है जो जवन्य स्थितिसे संख्यातगुणी होती है । चार संज्वलन और सात नोकषायों की स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य १ नियमसे अजघन्य होती है । जो जघन्य स्थितिसे असंख्यातगुणी होती है। इसी प्रकार सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी जघन्य स्थितिविभक्तिके धारक जीवके सन्निकर्ष जानना चाहिये । अप्रत्याख्यान क्रोधकी जघन्य स्थितिविभक्तिके धारक जीवके मिथ्यात्व, सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्व ये तीन प्रकृतियाँ नहीं हैं। सात कषाय, स्त्रीवंद और नपुंसकवेदकी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? नियमसे जघन्य होता है । चार संज्वलन और सात नोकपायोंकी स्थिति क्या जघन्य हाती है या अजघन्य ? नियमसे अजघन्य होता है जो जघन्य स्थितिसे असंख्यातगुणी होती है। इसी प्रकार सात कषायोंकी जयन्य स्थितिविभक्तिके धारक जीवके सन्निकर्ष जानना चाहिये । स्त्रीवेदकी जघन्य स्थिति विभक्तिके धारक जीवके चार संज्वलन और सात नोकषायोंकी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? नियमसे अजघन्य होती है, जो जघन्य स्थितिसे असंख्यातगुणी होती है। आठ कषाय और नपुंसकवेदकी स्थिति नियमसे जघन्य होती है । इसी प्रकार नपुंसकवेदकी जघन्य स्थितिविभक्ति के धारक जीवके सन्निकर्ष जानना चाहिये । सात नोकषाय और चार सज्वलनोंकी जयन्य स्थिति विभक्तिके धारक जीवोंके ओघके समान जानना चाहिये। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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