Book Title: Kasaypahudam Part 03
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 542
________________ गा० २२ ] द्विदिविहत्तीए उत्तरपयडिद्विदिविहत्तियसरिणयासो ५२३ ८६६. खइयसम्मा० एकवीसपयडीणमोघं । वेदय० मिच्छत्त-सम्मामि०अणंताणु०चउकाणं परिहारभंगो। सम्मत्त०ज०वि० बारसक० णवणोक० किं ज० अज० १ जहण्णा अजहण्णा वा । जहण्णादो अजहण्णा वेढाणपदिदा। अपच्चक्खा० कोधज० वि० सम्मत्त० किं ज० अज० १ णि. जहण्णा। एवमेक्कारसक०-णवणोकसायाणं जहण्णचं वत्तव्वं । एवमेकारसक०-णवणोकसायाणं । उवसमसम्मा० मिच्छत्त० ज० वि० सम्मत्त-सम्मामि०-बारसक०-णवणोक० किं ज० अज• ? णि• जहण्णा । एवं सम्मत्त-सम्मामि०-बारसक०-णवणोक० । अणंताणु०कोध०ज.वि. मिच्छत्तसम्मत्त-सम्मामि०-बारसक०-णवणोक० किं ज. अज०? णि० अज० संखे०गुणा । तिण्णिक० किं ज. अज० १ णि. जहण्णा । एवं तिण्हं कसायाणं । एवं सासणसम्मादिहीणं । णवरि अणंताणु०चउक्क० मिच्छत्तभंगो । ६८७०. सम्मामिच्छाइटी० मिच्छत्तजह० सम्म-सम्मामि० णि. अज० संखे गुणा । सेसं णियमा जह० । णवरि अणंताणु०चउक्कं त्थि । एवं बारसक० wearrrrrrrrrrrrrrr ६-६६. क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंमें इक्कीस प्रकृतियोंका भंग ओघके समान है । वेदक सम्यग्दृष्टियोंमें मिथ्यात्व, सम्यग्मिथ्यात्व और अनन्तानुबन्धी चतुष्कका भंग परिहारविशुद्धिसंयतोंके समान है। सम्यक्त्वकी जघन्य स्थितिविभक्तिवाले जीवक बारह कषाय और नौ नोकषायोंकी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? जघन्य भी हाती है और अजघन्य भी। उनमेंसे अजघन्य स्थिति जघन्य स्थितिसे दो स्थानपतित होती है। अप्रत्याख्यानावरण क्रोधकी जघन्य स्थितिविभक्तिवाले जीवके सम्यक्त्वकी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? नियमसे जघन्य होती है। इसी प्रकार ग्यारह कषाय और ना नाकषायोंका स्थिति जघन्य कहना चाहिये । इसी प्रकार अप्रत्याख्यानावरण मान आदि ग्यारह कषाय और नौ नोकषायोंकी जघन्य स्थितिविभक्तिवाले जीवोंके सन्निकषं जानना चाहिय । उपशम सम्यग्दृष्टियोंमें मिथ्यात्वकी जघन्य स्थितिविभक्तिवाले जीवके सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, बारह कषाय और नौ नोकषायोंकी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? नियमसे जघन्य होती है। इसी प्रकार सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, बारह कषाय और नौ नोकषायोंकी जघन्य स्थितिविभक्तिवाले जीवोंके सन्निकष जानना चाहिये । अनन्तानुबन्धी क्राधको जघन्य स्थातविभक्तिवाल जीवक मिथ्यात्व, सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, बारह कषाय ओर ना नाकषायाकी स्थिति क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? नियमसे अजघन्य होती है जो जघन्य स्थिातसे संख्यातगुणी होती है। अनन्तानुबन्धी मान आदि तीन कषायोंको स्थिति क्या जघन्य हाती ह या अजघन्य ? नियमसे जघन्य हाती है । इसी प्रकार अनन्तानुबन्धी मान आदि तीन कपायाका जघन्य स्थितिवाले जीवोंके सन्निकर्षे जानना चाहिये । इसी प्रकार सासादनसम्यग्दृष्टि जावांके जानना चाहिय । किन्तु इतनी विशेषता है कि अनन्तानुबन्धी चतुष्कका भंग मिथ्यात्वक समान है। ६८७०. सम्यग्मिथ्याष्टियोंमें मिथ्यात्वकी जघन्य स्थितिविभक्तिवाले जीवके सम्यक्त्व और सम्यमिथ्यात्वकी स्थिति नियमसे अजघन्य होती है जो जघन्य स्थितिसे संख्यातगुणी होती है। तथा शेष प्रकृतियोंकी स्थिति नियमसे जघन्य होती है किन्तु इतनी विशेषता है कि इसके अनन्तानुबन्धी चतुष्क नहीं है। इसी प्रकार बारह कषाय और नौ नोकषायोंकी जघन्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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