Book Title: Kasaypahudam Part 03
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[द्विदिविहती ३ उक्कस्सा अणुक्कस्सा वा । उक्कस्सादो अणक्कस्सा समयूणमादि कादूण जाव आवलिऊणा । इन्थि-पुरिस० किमुक्क० अणुक्क० ? णियमा अणुक्कस्सा । समयणमादि कादृण जाव अंतोकोडाकोडि ति । अथवा अंतोमुहृत्त णमादि कादूण | हस्स-रदि० किमुक्क० अणुक्क० ? उक्कस्सा अणुक्कस्सा वा। उक्कस्सादो अणुक्कस्सा समयूणमादि कादण जाव अंतोकोडाकोडि ति। अरदि-सोग० किमक्क. अणक्क० ? उक्कस्सा अणुक्कस्सा वा । उक्कस्सादो अणुक्कस्सा समयणमादि कादण जाव वीसंसागरोवमकोडाकोडीओ पलिदो० असंखेजदिभागेण ऊणाओ । भय-दुगुंछा० इस्थिवेदभंगो। ___८२२. हस्सउक्कस्सद्विदिविहत्तियस्स मिच्छत्त० किमुक्क० अणुक्क० ? णियमा अणुक्कस्सा । समयूणमादि कादूण जाव पलिदोवमस्स असंखेजदिमागेणूणा। सम्मत्त-सम्मामि० मिच्छत्तभंगो । सोलसक० किमक्क० अणक्क० ? णियमा अण्क्क०। एगसमयमादि कादूण जाव आवलिऊणा। इथि०-पुरिस० किमुक्क० अणुक्क० ? उक्कस्सा अणुक्कस्सा वा । उक्कस्सादो अणकस्सा समयणमादि कादूण जाव अंतोकोडाकोडि त्ति । अधवा अंतोमहुत्त णमादि कादण । णवुसय० किमुक्क० अणुक्क० ? उक्कस्सा अणुक्कस्सा वा । उक्कस्सादो अणक्कस्सा समय॒णमादि कादूण जाव वीसं
अनुत्कृष्ट ? उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी। उनमें से अनुत्कृष्ट स्थिति एक समय कम उत्कृष्ट स्थितिसे लेकर एक आवलि कम तक होती है । स्त्रीवेद और पुरुषवेदकी स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? नियमसे अनुत्कृष्ट होती है। जो एक समय कम अपनी उत्कृष्ट स्थितिसे लेकर अन्तःकोड़ाकोड़ी सागर तक होती है। अथवा 'एक समय कम उत्कृष्ट स्थितिसे लेकर के' स्थानमें 'अन्तर्मुहूर्त कम उत्कृष्ट स्थितिसे लेकर' कहना चाहिय । हास्य और रतिकी स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी। उसमें अनुत्कृष्ट स्थिति एक समय कम अपनी उत्कृष्ट स्थितिसे लेकर अन्तःकोड़ाकोड़ी सागर तक होती है। अरति और शोककी स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी। उसमें अनुत्कृष्ट स्थिति एक समय कम अपनी उत्कृष्ट स्थितिसे लेकर पल्योपमका असंख्यातवां भाग कम बीस कोडाकोड़ी सागर तक होती है । भय और जुगुप्साका भंग स्त्रीवेदके समान है।
८२२. हास्य प्रकृतिकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्तिके धारक जीवके मिथ्यात्वकी स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? नियमसे अनुत्कृष्ट होती है। जो एक समय कम उत्कृष्ट स्थितिसे लेकर पल्योपमके असंख्या भाग कम तक होती है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वका भंग मिथ्यात्वके समान है । सोलह कषायोंकी स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? नियमसे अनुत्कृष्ट होती है । जो एक समय कम उत्कृष्ट स्थितिसे लेकर एक श्रावलि कम तक होती है। स्त्रीवेद और पुरुषवेदकी स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी। उनमें से अनुत्कृष्ट स्थिति एक समय कम अपनी उत्कृष्ट स्थितिसे लेकर अन्तःकोड़ाकोड़ी सागर तक होती है। अथवा 'एक समय कम उत्कृष्ट स्थिति से लेकर' के स्थानमें 'अन्तर्मुहूर्त कम उत्कृष्ट स्थितिसे लेकर' जानना चाहिये । नपुंसकवेदकी स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुस्कृष्ट ? उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी। उनमेंसे अनुत्कृष्ट स्थिति एक समय कम अपनी उत्कृष्द
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