Book Title: Kasaypahudam Part 03
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 506
________________ गा० २२ ] हिदिविहत्तीए उत्तरपयडिडिदिविहत्तियसरिणयासो २०. इस्थिवेदुक्कस्सहिदिविहत्तियस्स मिच्छत्त० किमुक्क० अणुक्क ? णियमा अणुक्कस्सा, एगसमयमादि कादृण जाव पलिदो० असंखे०भागेणूणा । सम्मत्तसम्मामि० मिच्छत्तभंगो । पुरिस० किमक्क० अणुक्क ? णियमा अणुक्कासा समयूणमादि कादूण जाव अंतोकोडाकोडि त्ति । अथवा अतोमुहुत्तणमादि कादणे त्ति वत्तव्वं । णवंस० किमुक्क० अणक्क० ? णियमा अणुक्कस्सा, समयूणमादि कादूण जाव वीसं सागरोवमकोडाकोडायो पलिदो० असंखेजदिमागेण ऊणाभो । हस्स-रदि० किमुक्क० अणुक्क० ? उकसा अणुक्कस्सा वा । उक्कसादो अणुक्कस्सा समयूगमादि कादण जाव अंतोकोडाकोडाओ । अरदि-सोग० किमक्क० अणुक्क. १ उक्कसा अणुक्कस्सा वा। उक्कस्सादो अणुकस्सा समयणमादि कादण जाव वीसंसागरोवमकोडाकोडीओ पलिदो० असंखेजदिभागेण ऊणाओ । भय-दुगुंछ . किमुक्क० अणुक्क० ? णियमा उक्कस्सा । सोलसक किमुक्क० अणुक्क ० १ णियमा अणुक्क । समयूणमादि कादूण जाव आवलिऊणा एवं पुरसवेदस्स । ६८२१. णव॒सयवेदउ कस्सहिदिविहत्तियस्स मिच्छत्त० किमुक्क० अणुक्क ? उक्कस्सा अणुक्कस्सा वा । उक्कस्सादो अणक्कस्सा समऊणमादि कादण जाव पलिदो० असंखे भागेण ऊणा। सम्मत्त-सम्मामि मिच्छत्तभंगो। सोलसक० किमुक्क० अणुक्क० ? २०. स्त्रीवेदकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्तिवाले जीवक मिथ्यात्वकी स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? नियमसे अनुत्कृष्ट होती है । जो एक समय कम उत्कृष्ट स्थितिसे लेकर पल्योपमके असंख्यातवें भाग कम तक होती है । सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वका भंग मिथ्यात्वके समान है। पुरुषवेदकी स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? नियमसे अनुत्कृष्ट होती है। जो एक समय कम अपनी उत्कृष्ट स्थितिस लेकर अन्तःकोड़ाकोड़ी सागर तक होती है। अथवा एक समय कमके स्थानमें अन्तर्मुहूते कमसे लेकर ऐसा कहना चाहिये। नपुंसकवेदकी स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? नियमसे अनुत्कृष्ट होती है। जो एक समय कम अपनी उत्कृष्ट स्थितिसे लेकर पल्योपमका असंख्यातवां भाग कम बोस कोड़ाकोड़ी सागर तक होती है । हास्य और रतिकी स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी। उसमेंसे अनुत्कृष्ट स्थिति एक समय कम अपनी उत्कृष्ट स्थितिसे लेकर अन्तःकोड़ाकोड़ी सागर तक होती है। अरति और शोककी स्थिति क्या उत्कृष्ट होती हे या अनुत्कृष्ट ? उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी। उनमें से अनुत्कृष्ट स्थिति एक समय कम अपनी उत्कृष्ट स्थितिसे लेकर पल्योपमका असंख्यातवां भाग कम बीस कोड़ाकोड़ी सागर तक होती है । भय और जुगुप्साकी स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? नियमसे उत्कृष्ट होती है। सोलह कषायोंकी स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? नियमसे अनुत्कृष्ट होती है । जो एक समय कम उत्कृष्ट स्थितिसे लेकर एक श्रावलि कम तक होती है। इसी प्रकार पुरुषवेदकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्तिवाले जीवके सन्निकर्ष कहना चाहिये। ९८२१. नपुंसकवेदकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्तिवाले जीवके मिथ्यात्वकी स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी । उनमेंसे अनुत्कृष्ट स्थिति एक समय कम उत्कृष्ट स्थितिसे लेकर पल्योपमके असंख्यातवें भाग कम तक होती है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वका भंग मिथ्यात्वके समान है। सोलह कषायोंकी स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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