Book Title: Kasaypahudam Part 03
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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अपधवलासहिदे कसायपाहुडे
[द्विदिविहत्ती ३ २६६. पंचमण०-पंचवचि० असंखेजभागहाणी० अवहि० के० ? जह० एगसमो, उक्क अंतोमु० । संखे० भागहाणी० ओघं । सेसा० मणुसभंगो। कायजोगि० तिण्णि वडी० तिणि हाणी. अवहि० ओघं। असंखे०भागहाणी एइंदियभंगो । ओरालि० मणजोगिभंगो। गवरि असंखे०भागहाणी० के० ? जह. एगसमओ, उक्क० बावीसवस्ससहस्साणि देसणाणि । ओरालियमिस्स० संखे० भागवडी असंखे भागवड्डी अवडि० अोघं । संखे गुणवड्डी तिण्णि हाणी पंचिंदियअपज्जत्तभंगो। वेउव्वियकायजोगि० तिण्णि वड्डी तिण्णि हाणी अवहि० णिरश्रोधं । णवरि असंखेजभागहाणी जह० एगसमओ, उक्क० अंतोमुहुत्तं । एवं वेउव्वियमिस्स० । आहार० असंखे भागहाणी के० १ जह० एगसमओ, उक्क० अंतोमुहुत्तं । एवमकसाय० - जहाक्खाद० । आहारमि० असंखे०भागहाणी के० ? जहएणुक्क० अंतोमु० । एवमुवसम० । णवरि संखेजभागहाणी जहएणुक० एगस० । कम्मइय० दो वड्डी दो हाणी के० १ जहण्णुक० एगसमओ । असंखे०भागवड्डी हाणी ज० एगसमओ, उक्क० वे समया। अवडि० ज० एगसमो, उक्क तिण्णि समया ।
६२६६. पाँचों मनोयोगी और पाँचों वचनयोगी जीवोंमें असंख्यातभागहानि और अवस्थितका काल कितना है ? जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है। तथा संख्यातभागहानिका काल ओवके समान है। तथा शेषका काल मनुष्यों के समान है। काययोगी जीवोंमें तीन वृद्धियों, तीन हानियों और अवस्थितविभक्ति का काल ओघके समान है। तथा असंख्यातभागहानिका काल एकेन्द्रियों के समान है। औदारिककाययोगियोंके मनोयोगियों के समान जानना चाहिये । इतनी विशेषता है कि इनके असंख्यातभागहानिका कितना काल है ? जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल कुछ कम बाईस हजार वर्ष है। औदारिकमिश्रकाययोगियोंमें संख्यातभागवृद्धि, असंख्यातभागवृद्धि और अवस्थितविभक्तिका काल ओघके समान है। तथा संख्यातगुणवृद्धि और तीन हानियोंका काल पंचेन्द्रिय अपर्याप्तकोंके समान है। वैक्रियिककाययोगियोंमें तीन वृद्धियों, तीन हानियों और अबस्थितविभक्तिका काल सामान्यनारकियोंके समान है। इतनी विशेषता है कि इनके असंख्यात भागहानिका जवन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल अन्तमुहूर्त है। इसी प्रकार वैक्रियिकमिश्रकाययोगियोंके जानना चाहिये। आहारककाययोगियोंमें असंख्यातभागहानिका कितना काल है। जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है। इसी प्रकार अकषायी और यथाख्यातसंयत जीवों के जानना चाहिये । आहारकमिश्रकाययोगियोंमें असंख्यातभागहानिका कितना काल है ? जघन्य और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है। इसी प्रकार उपशमसम्यग्दृष्टियोंके जानना चाहिये। इतनी विशेषता है कि इनके संख्यातभागहानिका जघन्य और उत्कृष्ट काल एक समय है। कार्मणकाययोगियोंमें दो वृद्धियों और दो हानियोंका कितना काल है ? जघन्य और उत्कृष्ट काल एक समय है। तथा असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यातभागहानिका जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल दो समय है । तथा अवस्थितविभक्तिका जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल तीन समय है ।
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