Book Title: Kasaypahudam Part 03
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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गा० २२ हिदिविहत्तीए उत्तरपयडिहिदिविहत्तियअंतरं खवगसेढिचडणवारसहस्सेहि कोधसंजलणस्स संखेजसहस्सछमासंतरकालो किण्ण लब्भदे ? ण, संखेजसहस्संतरकालेसु मेलिदेसु वि सादिरेयवेलमासमेत्तपमाणसादो । तं कुदो णव्वदे ? एदम्हादो चेव सुत्तादो।
* लोभसंजलणस्स जहएणहिदिविहत्तिअंतरं जहणणेण एगसमयो।
६८७. सुगममेदं । __* उकस्सेण छम्मासा । .. ६८८. कुदो ? जस्स कस्स वि कसायस्स उदएण खवगसेढिं चडिदजीवाणं लोभस्स जहण्णहिदिसंतकम्मुप्पत्तीदो। ण सेसाणमेसो कमा, सोदएणेव खवगसेढिं चडिदाणं जहण्णहिदिसंतकम्मप्पत्तीदो।
* इत्थि-णवंसयवेदाणं जहरण हिदि [ विहत्ति ] अंतरं जहरणेण एगसमभो ।
६८६. सुगममेदं । * उकस्सेण संखेजाणि वस्साणि ।
शंका-यदि ऐसा है तो कभी मान, कभी मान माया और कभी मान, माया लोभके उदयसे जीवोंको हजारों बार क्षपकश्रेणीपर चढ़ाते रहनेसे क्रोधसंज्वलनका संख्यात हजार छह महीनाप्रमाण अन्तरकाल क्यों नहीं प्राप्त होता है ?
समाधान-नहीं, संख्यात हजार अन्तरकालोंके मिला देने पर भी क्रोधसंज्वलनके उत्कृष्ट अन्तरकालका प्रमाण साधिक एक वर्ष ही होता है।
शंका-यह किस प्रमाणसे जाना जाता है ? समाधान-इसी सूत्रसे जाना जाता है
* लोभसंज्वलनकी जघन्य स्थितिविभक्तिवाले जीवोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय है।
६६८७. यह सूत्र सुगम है। * तथा उत्कृष्ट अन्तर छह महीना है। ६६८८. शंका-उत्कृष्ट अन्तर छह महीना क्यों है ?
समाधान-क्योंकि जिस किसी भी कषायके उदयसे क्षपकश्रेणी पर चढ़े हुए जीवोंके लोभके जघन्य स्थिति सत्कर्मकी उत्पत्ति हो जाती है। परन्तु शेष कषायोंका यह क्रम नहीं है, क्योंकि,शेष कषायोंकी अपेक्षा स्वोदयसे ही क्षपकश्रेणीपर चढ़े हुए जीवोंके जघन्य स्थिति सत्कर्मकी उत्पत्ति होती है।
* स्त्रीवेद और नपुंसकवेदकी जघन्य स्थितिविभक्तिवाले जीवोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय है।
६६८६. यह सूत्र सुगम है। ॐ तथा उत्कृष्ट अन्तरकाल संख्यात वर्ष है ।
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