Book Title: Kasaypahudam Part 03
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[द्विदिविहत्ती ३ ७६८. जदि णqसयवेदस्स उक्कस्सहिदीए संतीए अप्पिदकसायाणमुक्कस्सहिदिबंधो होज तो उक्कसा, अण्णहा अणुक्कस्सा; समयूणादिहिदीसु बद्धासु उक्कस्सत्तविरोहादो।
* उकस्सादो अणुकस्सा समयूणमादिकादूण जाव आवलिऊणा त्ति ।
७६६. तं जहा–कसायाणमुक्कस्सहिदिमावलियमेत्तकालं बंधिय पडिहग्गसमए बज्झमाणणqसयवेदम्मि बंधावलियादिक्कतकसायहिदीए संकंताए णवंसयवेदहिदी उक्कस्सा होदि तस्समए कसायहिदी समयूणा होदि; उक्कस्सहिदीदो अघहिदिगलणाए गलिदेगसमयत्तादो। एवं दुसमयणादिकमेण णेदव्वं जाव आवलियमेत्तकालो कसायहिदीए गलिदो त्ति । अहिओ किण्ण गालिज्जदे ? ण, उवरि णवंसयवेदुक्कस्सहिदीए असंभवादो।
ॐ इत्थि-पुरिसवेदाणं हिदिविहत्ती किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? $ ८००. मुगमं ।
8 णियमा अणुक्कस्सा । $८०१. णवंसयवेदबंधकाले णियमेणित्थि-पुरिसवेदाणं बंधाभावादो। किं
७६८. यदि नपुसकवेदकी उत्कृष्ट स्थितिके रहते हुए विवक्षित कषायका उत्कृष्ट स्थिति बन्ध होवे तो उत्कृष्ट स्थिति होती है, अन्यथा अनुत्कृष्ट स्थिति होती है, क्योंकि एक समय कम आदि स्थितियोंके बँधने पर उन्हें उत्कृष्ट माननेमें विरोध आता है।
* वह अनुत्कृष्ट स्थिति एक समय कम अपनी उत्कृष्ट स्थितिसे लेकर आवली कम उत्कृष्ट स्थिति तक होती है।
७६६. जो इस प्रकार है-कषायोंकी उत्कृष्ट स्थिति एक प्रावलि कालतक बांधकर प्रतिभग्न कालके प्रथम समयमें बंधनेवाले नपुंसकवेदमें बन्धावलिसे रहित कषायकी स्थिति के संकान्त होन पर नपुंसकवेदकी स्थिति उत्कृष्ट होती है और उस समय कषायकी स्थिति एक समय कम होती है, क्योंकि उस समय कषायकी उत्कृष्ट स्थितिमेंसे अधःस्थिति गलनाके द्वारा एक समय गल गया है ! इसी प्रकार कषायकी उत्कृष्ट स्थितिमेंसे दो समय कम आदि क्रमसे आवलि प्रमाण कालके गलने तक कथन करते जाना चाहिये।
शंका-कषायकी उत्कृष्ट स्थितिमें से एक आवलिसे अधिक काल क्यों नहीं गलाया जाता है ?
समाधान-नहीं, क्योंकि इसके आगे नपुंसकवेदकी उत्कृष्ट स्थितिका प्राप्त होना असंभव है।
* नपुंसकवेदकी उत्कृष्ट स्थितिके समय स्त्रीवेद और पुरुषवेदकी स्थितिविभक्ति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ?
१८००. यह सूत्र सुगम हे। * नियमसे अनुत्कृष्ट होती है।
१८०१. क्योंकि नपुंसकवेदके बन्धके समय स्त्रीवेद और पुरुषवेदका बन्ध नियमसे नहीं होता है।
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