Book Title: Kasaypahudam Part 03
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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गा• २२ ] हिदिविहत्तीए वड ढीए अप्पाबहुवे
१८७ हाणिवि० जीवा असंखे गुणा । संखे० गुणवडिवि० जीवा विसेसाहिया । संखे०भागवडि-हाणिवि. जीवा सरिसा संखे०गुणा। असंखे०भागवड्डिवि० जीवा असंखे०गुणा । अवहिदवि० जीवा असंखे०गुणा । असंखे०भागहाणिवि०जीवा संखे०गुणा । एवं पंचिं०-पंचि०पज्ज०-इत्थि-पुरिस०-सण्णि त्ति । मणुसपज्जत्त-मणुसिणीसु एवं चेव । णवरि जम्मि असंखे०गुणं तम्मि संखेज्जगुणं कायव्वं ।।
३४७. जोइसियादि जाव सहस्सारे त्ति विदियपुढविभंगो। आणदादि जाव अवराइदं ति सव्वत्थोवा संखे०भागहाणिवि० जीवा । असंखे०भागहाणिवि० जीवा असंखे०गुणा । एवं संजदासंजदाणं । सव्व सव्वत्थोवा संखे०भागहाणिवि० जीवा। असंखे०भागहाणिविक जीवा संखे०गुणा । एवं परिहार० ।
३४८. एइंदिएमु सव्वत्थोवा संखे०गुणहाणिवि० जीवा । संखे भागहाणिवि. जीवा संखेगुणा । असंखे०भागवडिवि० जीवा अणंतगणा । अवहि. जीवा असंखे०गुणा। असंखे०भागहाणिवि० जीवा संखे०खणा । एवं सव्वएइंदिय-वणप्फदि०-बादरवणप्फदि०-बादरवणप्फदिपज्जत्तापजत्त-सुहुमवणप्फदि०- सुहुमवणप्फदिपज्जत्तापज्जत्तणिगोद० - बादरणिगोद० - बादरणिगोदपज्जत्तापज्जत्त - सुहुमणिगोद - सुहुमणिगोदपज्जत्तापज्जत्ता त्ति । वाले जीव असंख्यातगुणे हैं। इनसे संख्यातगुणवृद्धिवाले जीव विशेष अधिक हैं। इनसे संख्यातभागवृद्धि और संख्यातभागहानि इन दोनों पदवाले जीव समान होते हुए भी संख्यातगुणे हैं। इनसे असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव असंख्यातगुणे हैं । इनसे अवस्थितविभक्तिवाले जीव असंख्यातगुणे हैं। इनसे असंख्यातभागहानिवाले जीव संख्यातगुणे हैं। इसी प्रकार पंचेन्द्रिय, पंचेन्द्रिय पर्याप्त, स्त्रीवेदवाले, पुरुषवेदवाले और संज्ञी जीवोंके जानना चाहिये । मनुष्यपर्याप्त और मनुष्यनियोंमें इसी प्रकार जानना चाहिये । इतनी विशेषता है कि जहां असंख्यातगुणा है वहां इनके संख्यातगुणा करना चाहिये ।
६३४७. ज्योतिषियोंसे लेकर सहस्रारतक दूसरी पृथिवीके समान भंग है। आनत कल्पसे लेकर अपराजित तक संख्यातभागहानिवाले जीव सबसे थोड़े हैं । इनसे असंख्यातभागहानिवाले जीव असंख्यातगुणे हैं। इसी प्रकार संयतासंयतोंके जानना चाहिये। सर्वार्थसिद्धिमें संख्यातभागहानिवाले जीव सबसे थोड़े हैं। इनसे असंख्यातभागहानिवाले जीव संख्यातगुणे हैं। इसी प्रकार परिहारविशुद्धिसंयतोंके जानना चाहिये।
६३४८. एकेन्द्रियोंमें संख्यातगुणहानिवाले जीव सबसे थोड़े हैं। इनसे संख्यातभागहानिवाले जीव संख्यातगुणे हैं। इनसे असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव अनन्तगुणे हैं। इनसे अवस्थितविभक्तिवाले जीव असंख्यातगुणे हैं । इनसे असंख्यातभागहानिवाले जीव संख्यातगुणे हैं। इसी प्रकार सभी एकेन्द्रिय, वनस्पतिकायिक, बादरवनस्पतिकायिक,बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्त,बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्त, सूक्ष्म वनस्पतिकायिक, सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्त, सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अपर्याप्त, निगोद; बादर निगोद, बादर निगोद पर्याप्त, बादर निगोद अपर्याप्त, सूक्ष्म निगोद, सूक्ष्म निगोद पर्याप्त और सूक्ष्म निगोद अपर्याप्त जीवोंके जानना चाहिये।
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